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शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं!

शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं! भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।  ▪️ शिवलिंग भी एक प्रकार के न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें।  ▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं। ▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।  ▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।  ▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। ▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।  महाकाल उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों के बीच का सम्बन्ध (दूरी) देखिये - ▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी  ▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी  ▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी  ▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी  ▪️ उज्जैन से मल

सब-कांसियस मन से दूरी है तनाव और फ्रस्ट्रेशन का कारण

सब-कांसियस मन से दूरी है तनाव और फ्रस्ट्रेशन का कारण -  swami ji kbhi mastishk me vicharo ka silsila kabhi bhav me kabhi sannata kabhi nirvichar  kabhi savpn pura din yeh chaker chalta h ek kona yeh sab dekh rha h apne bas me kuchh bhi nhi yeh sab kya ho rha h swami ji  margdrashen kre🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽 मष्तिष्क में कभी विचार, कभी निर्विचार, कभी भाव, कभी सन्नाटा, कभी सपने यह सब चल रहा होता है और कभी एक कोना यह सब देखता रहता है और यह भी लगता है कि हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। यही हमारी स्थिति है। हम दिन में चेतन अवस्था में जब होते हैं तो विचार हमें घेरे रहते हैं, भाव हमे प्रभावित करते हैं। और कभी-कभी निर्विचार में भी हमारा प्रवेश होता है जब हम अपने प्रेमी के साथ होते हैं। जाग्रत, सपने और गहरी नींद, इन तीन तलों पर ही हमारा जीवन डोलता रहता है। दिन भर हमारा चेतन मन काम करता है, हम जागे हुए काम करते हैं, विचार करते हैं। फिर हम रात को नींद में प्रवेश कर जाते हैं तो हमारा चेतन मन सो जाता है और अचेतन मन काम करने लगता है। वह हमें सपने दिखाने लगता है। और फिर आधी रात के बाद गहरी नींद में हमारा

दुर्गा सप्तशती का विज्ञान

{{{ॐ}}}                                                                   #सप्तशती दुर्गा सप्तशती में सात सौ मंत्र और तेरह अध्याय हैं उवाच अर्ध श्लोक त्रिपाद श्लोक भी इसमें पूर्ण श्लोक की तरह ही पूर्ण संख्याकित है सप्तशती में सत्तावन उवाच जिनमें मार्कंडेय मुनि प्रथम और अंतिम अध्याय में ही आते हैं और वे पांच बार बोलते हैं। ऋषिरूवाच २७ देव्युवाच १२ राजोवाच ४ वैश्यउवाच २ देवाऊचु ३ दुतउवाच २ ब्रम्ह्मोवाच १और भगवानुवाच १ इस प्रकार कुल ५७ उवाच  है kप्रथम नवम और द्वादश अध्याय के अलावा दस अध्यायों में प्रारंभ ऋषि वचनों से होता है प्रथम अध्याय के आरंभ करने वाले मार्कंडेय नवम के राजा सूरथ और द्वादश की देवी है। अर्ध श्लोक ३८ त्रिपाद श्लोक ६६ त्रिपाद इस तरह से की या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमो नमः पाठ करने का यह क्रम ही मान्य होने से कृपाल त्रिपाद श्लोक माने जाते हैं पूर्ण श्लोक ५३६ से २ पुनरुक्त मंत्र हैं। प्रथम चरित्र की देवता महाकाली हैं और उसके दृष्टा ब्रह्मा है छंद है

मन का विज्ञान

  ध्यानी और शराबी में सिर्फ होश और बेहोशी का ही फर्क होता है -  Ek dhyani shrab pi le to kya hoga? ध्यान में प्रवेश करने के बाद ध्यानी के लिए शराब पीना तो दूर की बात है, शराब पीने का विचार करना ही कठिन होगा। ध्यानी शराब पीने के विषय में सोच भी नहीं सकता है। यदि ध्यानी है। यदि सही में साधक है तो उसे शराब पीने की जरूरत ही नहीं रहेगी। क्योंकि शराब में हमारा जिस भावदशा में प्रवेश होता है, ध्यानी उस भावदशा में जी रहा होता है। यानि शराब पीने के बाद हमें थोड़ी देर के लिए जो मस्ती आती है उसी मस्ती में ध्यानी जी रहा होता है। अर्थात ध्यानी चौबिस घंटे नशे वाली मस्ती में रहता है। और होश में जी रहा होता है। इसलिए उसे शराब पीने की जरूरत ही नहीं रहेगी।  शराब हमारे शरीर में क्या परिवर्तन करती है?  जब हम शरीर में शराब को डालते हैं तो हमारा शरीर तनाव मुक्त होने लगता है। शिथिल होने लगता है, रिलेक्स होने लगता है। क्योंकि शराब हमारे शरीर को सुलाने का काम करती है। नींद में ले जाने का काम करती है। शराब पीने के बाद हमारी श्वास गहरी होकर नाभि तक जाने लगती है और शरीर नींद की भावदशा में आ जाता है।  और जैसे ही शर

आज के भौतिक विज्ञानऔर शिव संप्रदाय

{{{ॐ}}}                                                                 #शाक्त_संप्रदाय आज के भौतिक विज्ञान की विकास परंपरा का भी यदि शैली से में इतिहास लिखा जाए तो अनेक अविष्कार को के नाम ऋषि की श्रेणी में आ जाए अंतर यह रहे कि इनके सूत्रों को ने वेद मंत्रों की तरह गाया जा सकता है ना व्यवहार का विषय बनाया जा सकता है यह उस युग की विशेषता हुई रही है कि वह ज्ञान के गूढ़ रहस्यों को सजीव रखने के लिए प्राण करने की परंपरा पर आ चुका है aइतना अवश्य ताकि इस स्थल को प्राप्त करने वाले के लिए तपस्या एक सती प्रथा का पालन करने वाला ही ऋषि कहलाता था हमारे यहां ज्ञान विज्ञान का इतिहास वेदों से प्रारंभ हुआ या शैवकाल ज्ञान की उत्कण्ठापूर्ण  ऑकुलता की अवस्था है जिसमें मानव अपने इतस्तत व्याप्त प्राकृतिक क्रियाओं को देखकर चमत्कृत होता था संभव है कि देव शब्द इसी युग का सामना सर्वमान्य स्तर रहा हो जो व्यक्ति की क्षमताओं से अधिक अथवा लोकप्रकृति के व्यवहार को चक्षु विस्फारण के साथ देखता रहा था और उसमें विलास से विभोर  होता रहा था। इन प्राकृतिक स्थितियों से वह भयभीत नहीं होता था सागर के दृष्टिविहीन विस्तार बादलो

ध्यान का रहस्य” – ओशो

******************************************* ध्यान कोई भारतीय विधि नहीं है और यह केवल एक विधि मात्र भी नहीं है। तुम इसे सीख नहीं सकते। तुम्हारी संपूर्ण जीवन चर्या का, तुम्हारी संपूर्ण जीवन चर्या में यह एक विकास है। ध्यान कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे, जैसे कि तुम हो, उसमें जोड़ा जा सके। यह एक मौलिक रूपांतरण है जो कि तुम्हारे स्वयं के उपर उठने के द्वारा ही आ सकता है। यह एक खिलावट है, यह विकसित होना है। विकास सदा ही पूर्ण होने से होता है, यह कुछ और जोड़ना नहीं है। तुम्हें ध्यान की ओर विकसित होना पड़ेगा। व्यक्ति की इस समग्र खिलावट को ठीक से समझ लेना चाहिए। अन्यथा कोई अपने साथ खेल, खेल सकता है, वह अपने ही मन की तरकीबों में उलझ सकता है। और बहुत सी तरकीबें है। उनके द्वारा न केवल तुम मूर्ख बनोगे, उनके द्वारा न केवल तुम कुछ नहीं पाओगे, बल्कि वास्तविक अर्थ में तुम्हें उनसे नुकसान ही होगा। यह मान लेना कि ध्यान की कोई तरकीब है- ध्यान की एक विधि के रूप में कल्पना करना- आधारभूत रूप से गलत है। और जब कोई व्यक्ति मन की चालाकियों में रस लेने लगता है तब मन की गुणवत्ता नष्ट होने लगती है। जैसे कि मन है, यह गैर-ध

मच्छर भगाने का तरीका खोजा गया

मच्छर भगाने का तरीका मंथनहब पर जारी एक वीडियो में घर में मच्छर को घुसने ही न देने के लिए तरीके का इजाद किया गया है  इसमें कमरे में जालीदार ट्यूब लगा कर उसमें उसमें कीटनाशक का प्रयोग किया गया है ताकि मच्छर घर में घुस ही ना सके