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1600 किमी प्रति घंटे रफ़्तार वाली कार

ये थोड़ा अंतरिक्ष यान है, कुछ कार जैसा है और कुछ जेट फाइटर जैसा. इन सबका मिला-जुला रूप है ब्लडहाउंड सुपरसोनिक कार, जिसकी रफ़्तार के बारे में आप सुनेंगे तो आपको यक़ीन नहीं होगा. दुनिया के सबसे तेज़ विमान कॉनकॉर्ड की रफ़्तार से बस कुछ ही कम है इसकी स्पीड. अगर सब कुछ इंजीनियरों की योजना के अनुसार चला तो नई पीढ़ी की इस 'कॉनकॉर्ड कार' की स्पीड होगी 1000 मील यानी क़रीब 1600 किलोमीटर प्रति घंटा. ब्लडहाउंड एसएससी ब्लडहाउंड (एसएससी) आख़िर कैसे हासिल करेगी ये रफ़्तार? ब्लडहाउंड प्रॉजेक्ट के चीफ़ इंजीनियर मार्क चैपमैन कहते हैं कि पहला थ्रस्ट एसएससी इंजन कार को 763 मील प्रति घंटे की रफ़्तार देने में ही सक्षम था. ब्लडहाउंड एसएससी में एक-दो नहीं बल्कि तीन इंजन हैं. पहले दो इंजन कंबाइंड हैं, तीसरा इंजन रेसिंग कार की तरह का है. जो कार को रॉकेट जैसी गति देता है. ये इंजन 20 टन की ताक़त से सुपरसोनिक कार को रफ़्तार देगा. चैपमैन कहते हैं कि ब्लडहाउंड एसएससी 1600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पाने के लक्ष्य से तैयार किया जा रहा है. अनूठी खूबियां ब्लडहाउंड एसएससी को 2015 त

क्लिनिकली डेड इंसान को भी रहता है होश

लंदन किसी का दिल और दिमाग काम करना बंद कर दे तो उसे मरा हुआ ही समझा जाएगा ना, पर क्या कोई यह उम्मीद भी कर सकता है कि वह इंसान अपने आसपास की हलचल महसूस कर रहा होगा। यकीन करना मुश्किल है मगर साइंटिस्ट्स ने 2000 लोगों पर स्टडी के बाद यही पता लगाया है। डॉक्टरों के मुताबिक, मेडिकल लिहाज से डेड करार दिए जा चुके इंसान को भी होश रह सकता है। साउथैंप्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने मौत के बाद कैसा लगता है इस बात को जानने के लिए यूके, यूएस और ऑस्ट्रिया के 15 अस्पतालों से मरीजों को चुना। ये वो लोग थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था। साइंटिस्ट्स ने चार साल तक तहकीकात की और पाया कि इनमें से करीब 40 पर्सेंट लोगों को उस वक्त भी होश था, जबकि क्लिनिकल तौर पर वह डेड करार दिए जा चुके थे। हालांकि बाद में उनके दिल ने दोबारा काम करना शुरू कर दिया। रिसर्चरों के मुताबिक, इनमें से एक शख्स को तो यहां तक याद है कि वह अपने शरीर से किस तरह बाहर आया और कमरे के एक कोने से अपने शरीर के साथ सबकुछ होता हुआ देख रहा था। 'द टेलिग्राफ' के मुताबिक, साउथैंप्टन के 57 साल के एक सोशल वर्कर का कहना था कि बेहोशी और तीन