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निजी विमान से अंतरिक्ष की सैर

वो दिन दूर नहीं जब हम और आप अंतरिक्ष में सैर के लिए जाएंगे. वजह है अंतरिक्ष यान का आसानी से उपलब्ध होना. एक निजी कंपनी ने पहली बार आसमान में अपना निजी रॉकेट छोडने की पहल की है. अमेरिका के कैलिफोर्निया की इस कंपनी का नाम है स्पेस एक्स. इस कंपनी की शनिवार को अपना निजी रॉकेट अंतरिक्ष के लिए रवाना करने की योजना थी, लेकिन उसे अंतिम समय में मोटर में तकनीकी समस्या के कारण रोक दिया गया है. इतिहास में ये पहली बार है जब कोई निजी कंपनी अपना रॉकेट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र आईएसएस के लिए रवाना कर रही है. हालांकि ये टेस्ट उड़ान है. लेकिन कहा जा रहा है कि इसकी सफलता या असफलता से अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर काफी असर पड़ेगा. चालीस साल में यह पहला मौका है जब यान भेजने का ठेका गैर सरकारी कंपनी को मिला है. राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार जॉन हाल्ड्रेन इसे नासा का एक और व्यापारिक अभियान मानते हैं. गौरतलब है कि इस अभियान में नासा की ओर से भी पैसा लगाया गया है. अभियान में नासा ने 38 करोड़ डॉलर खर्च किया है जबकि कंपनी की ओर से 1 अरब डॉलर का खर्चा किया गया है. नास

पांच तरकीब जो बदल देंगी आपकी दुनिया

आईबीएम वैसे तो आधुनिक कंप्यूटरों और तकनीक के लिए मशहूर है, लेकिन अब यह कंपनी पांच ऐसी नई तरकीब बाजार में ला रही है जिससे इंसान की जिंदगी बदल सकती है. आईबीएम ने दिमाग में चल रहे विचारों को भांपने वाली मशीनों का आविष्कार किया है. इन मशीनों से पता लगाया जा सकेगा कि आप किस तरह के व्यक्ति से बात कर रहे हैं और उसके दिमाग में क्या चल रहा है. इस आविष्कार का नाम "आईबीएम 5 इन 5 है" और इसके लिए सामाजिक ट्रेंडों पर शोध किया गया है. 2017 से कंपनी अपने शोध के नतीजों का इस्तेमाल करना शुरू करेगी. "5 इन 5" का मतलब है, पांच ऐसे आविष्कार जो आने वाले सालों और महीनों में इंसान की जिंदगी बदल सकते हैं. इनमें से पहला है पीपुल पॉवर. आईबीएम के वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्य के हिलने डुलने से बहुत सारी ऊर्जा पैदा होती है और भविष्य में इसका सही तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा. अब कंपनी ऐसे तकनीक पर काम कर रही है जो किसी के चलने या काम करने से पैदा हो रही गर्मी को कहीं जमा कर सके ताकि उसका उपयोग बाद में किया जा सके. दूसरी खोज के बारे में आईबीएम का कहना है कि स्काइवॉकर और ए

गूगल चश्में से करें फेसबुक स्टेटस अपडेट

अब आपके हर प्रश्‍न का जवाब गूगल के साथ साथ गूगल चश्‍मा पर भी उपलब्‍ध होगा। आपकी हर कल्पना को अब गूगल चश्मा पूरी करेगा। आप इस गूगल चश्में को पहनकर किसी ऎतिहासिक बिल्डिंग को देखने पर उस बिल्डिंग का इतिहास आपके चश्में के लेंस पर डिस्प्ले हो जाएगा। चश्मे से ही फोटो खींचना, चैटिंग करना, गूगल मैप यूज करना भी संभव हो सकेगा। यही नहीं आप इस गूगल चश्में से अपना फेसबुक स्टेटस भी अपडेट कर सकते हैं साथ ही आप वॉयस कमांड से रिप्लाई भी कर सकेंगे। गूगल जल्द ही ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक से लैस एक चश्मा लाने वाला है। इस चश्मे को प्रोजेक्ट ग्लास नाम दिया है। sabhar : bhaskar.com    

शुक्र पर ओजोन की परत, जीवन का संकेत

सौर मंडल के दूसरे ग्रह शुक्र के वायुमंडल में ओजोन की परत का मिलना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी कुंजी है. दूसरे ग्रहों को समझने के लिए भी सहायता मिलेगी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जीवन के संकेत इस ग्रह पर मिल सकते हैं वैज्ञानिक शुक्र ग्रह को कठोर और उथल पुथल वाला ग्रह बताते हैं और इसे नर्क की संज्ञा देते हैं. ऐसे में इस ग्रह पर ओजोन परत के अचानक मिलने से वैज्ञानिक आश्चर्य में हैं गुरुवार को यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने कहा कि वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान ने पाया है कि सूर्य के नजदीकी ग्रह पर वायुमंडल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओजोन की परत का मिलना यहां जीवन के होने का संकेत भी साबित हो सकता है. हालांकि शुक्र पर मिली ओजोन की परत बहुत ही विरल है, इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि यह जीवन के कारण है. लेकिन धरती के वायुमंडल में मिलने वाली ओजोन परत से तुलना कर यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि क्या कहीं और जीवन संभव है. वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान से मिली सूचनाओं का विश्लेषण करने के बाद ईएसए के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है. डॉयचे वेले से बातचीत में ईएसए के शोधकर्ता फ्रांक मोंटमेसिन ने बत

ग्रहों को निगल रहा है ब्लैक होल धनु-ए

धरती से 26,000 प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल ब्लैक होल एक एक कर ग्रहों, तारों और पिंडो को निगल रहा है. ब्लैक होल हमारी आकाश गंगा के केंद्र में है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ब्लैक होल सूर्य से चार लाख गुना बड़ा है ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिसेस्टर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह ब्लैक होल हर दिन ब्रह्मांड में तैरती चीजों को निगलता जा रहा है. ब्लैक होल को सैजिटेरियस-A (धनु-ए) नाम दिया गया है. डॉक्टर कास्टीटिस जुबोवास के मुताबिक धनु-ए अपने सामने आने वाले गैस और धूल से बने क्षुद्र ग्रहों को तोड़ कर निगल रहा है. इस दौरान एक्स-रे किरणें और इंफ्रारेड विकीरण भी दिखाई पड़ रहा है. डॉक्टर जुबोवास और उनके साथियों कहते हैं कि ब्लैक होल आकार में सूर्य से 4,00,000 गुना बड़ा है. ब्रह्मांड में तैर रहे तारों के अवशेषों को भी धनु-ए निगलता जा रहा है यह जानकारी सामने आने के बाद यह बहस फिर छिड़ गई है कि क्या ब्लैक होल सौर मंडल को नए सिरे से बनाते हैं. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के माउंट स्ट्रोम्लो ऑब्जरवेट्री के मिशेल बैनिस्टर कहती हैं, "आकाश गंगा का केंद्र एक अत्यंत ऊर्जा वाला स्थान है. बहुत कम दायर

इंसानी हुक्म का गुलाम 'असीमो'

रोबोट का एक नया अवतार आ गया है जो इंसानी हुक्म का गुलाम है. होंडा कंपनी की चार साल की मेहनत ने एक रोबोट को अद्भुत बना दिया और इसे नाम दिया है 'असीमो'. ये रोबोट एक नए अंदाज़ और बंपर तेवर के साथ हाजिर है. ये रोबोट आदेश मिलने पर हर काम करता है, दौड़ता है, उछलता है, जूस बनाता है. इतना ही नहीं इस रोबोट को इस अंदाज़ में बनाया गया है, जिससे ये सिर्फ प्लेन सरफेस पर ही नहीं उबड़-खाबड़ इलाकों में भी बिल्कुल सधे हुए अंदाज़ में आसानी से चल सकता है. ये रोबोट 9 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इस रोबोट के पैर और हाथ में तो मूवमेंट है ही इसकी उंगलियां भी काम करती हैं. होंडा कंपनी अब इस रोबोट में कुछ ऐसे गुण भरना चाहती है, जिससे ये रोबोट परमाणु संकट में अपने हुनर का दम दिखा सके. साफ है अगले कुछ दिनों में ये रोबोट और भी कई खासियतों के साथ सामने होगा. sabhar :  www.samaylive.com

मोड़ कर रख सकेंगे टीवी

वैज्ञानिकों ने क्वांटम डॉट तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से लचीले टीवी स्क्रीन बनाए जा सकेंगे। अब आप 3-डी टीवी को भूल जाइए। रिसर्चर्स ने प्रकाश छोड़ने वाले ऐसे क्रिस्टल तैयार किए हैं, जिनकी मदद से बेहद पतले टीवी स्क्रीन बनाना संभव होगा। इन क्रिस्टल को क्वांटम डॉट्स(क्यूडी) नाम दिया गया है। क्या हैं क्वांटम डॉट : क्वांटम डॉट रूपी क्रिस्टल का आकार हमारे एक बाल के एक लाखवें हिस्से के बराबर है। इन्हें बेहद सस्ते सेमी-कंडक्टर मटेरियल से बनाया गया है, जो अल्ट्रावॉयलेट या बिजली के संपर्क में आने पर प्रकाश छोड़ते हैं। इनके आकार में फेरबदल कर प्रकाश के रंग को नियंत्रित किया जा सकता है। बनेंगे स्क्रीन : वैज्ञानिकों ने बेहद लचीली प्लास्टिक शीट पर इन्हें प्रिंट कर एक बेहद पतला डिस्प्ले बोर्ड बनाने में सफलता प्राप्त की है। यह डिस्प्ले बोर्ड ही एक स्क्रीन की तरह काम करेगा। लचीली प्लास्टिक से बने होने के कारण इसे किसी भी आकार में न सिर्फ ढाला जा सकेगा, बल्कि मोड़ कर कहीं भी रखा जा सकेगा। कब तक आएगा : वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि क्वांटम डॉट टीवी सेट अगले वर्ष के अंत तक बाजार में होंगे। हाल