सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

गाय का गोबर उड़ाएगा एरोप्लेन

नई दिल्ली.  सबसे तेज सफर कराने वाले हवाई जहाज में खूबियां कितनी हैं, यह हम जानते हैं लेकिन उसकी एक खामी से सभी परेशान रहते हैं. हवाई जहाज की कान फाड़ आवाज. लेकिन जल्द ही इस दिशा में राहत मिल सकती है. चेन्नई के तीन छात्र बहुत जल्द दुनिया की सबसे शांत एयरलाइन की नींव रख सकते हैं. इसके अलावा एयरक्राफ्ट डिजाइनिंग प्रतियोगिता में गाय के गोबर से हवाई जहाज उड़ाने का आइडिया भी शॉर्टलिस्ट किया गया है. ऑस्ट्रेलिया के इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने जो आइडिया सामने रखा है, उसके तहत मवेशियों के वेस्ट से निकलने वाली मीथेन गैस को जेट के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. यह वेस्ट प्लेन के इंजन के पास रेफ्रिजरेटेड पॉड में स्टोर किया जाएगा. टीम का दावा है कि गोबर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 97 फीसदी की कमी कर सकता है. दुनिया की प्रमुख एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एयरबस के चार्ल्स चैम्पियन का कहना है कि इन इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने जीरो प्रोपल्जन नॉइज के साथ भविष्य में हवाई जहाज बनाने की जो महत्वांकाक्षी योजना सामने रखी है, वह व्यावहारिक साबित हो सकती है और कंपनी आगे डेवलपमेंट के लिए इसे अहम आइडिया के

अब दिल की धड़कनों से ऑन-ऑफ होंगे मोबाइल और कंप्यूटर

टोरंटो.  वैज्ञानिकों ने हार्ट बीट और नाड़ी के स्पंदन का ढंग पढ़कर मोबाइल फोन और कंप्यूटर को ऑन करने वाला एक रिस्ट बैंड तैयार किया है. इस रिस्ट बैंड को यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में विकसित किया गया है. इसमें हार्ट बीट को रीड करने के लिए एक वोल्टमीटर है. इसका इस्तेमाल कार को अनलॉक करने और ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट करने के लिए भी किया जा सकता है. इस रिस्ट बैंड को नाइमी नाम दिया गया है. इस डिवाइस के आने से उम्मीद जताई जा रही है कि यह आगे चलकर कंप्यूटर, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के पासवर्ड की जगह ले लेगा. इसकी मार्केटिंग कर रही कंपनी ने शुरुआत में खरीदे गए ढाई लाख नाइमी रिस्ट बैंड की कीमत 50 पौंड रखी है, वहीं इसके बाद कस्टमर्स को हर बैंड के लिए 63 पौंड चुकाना होगा. यह बैंड 2014 की शुरुआत में कस्टमर्स को भेजे जाएंगे. कनाडा की कंपनी बायोनिम ने कंपनी ने हार्ट बीट पढ़ने वाला रिस्ट बैंड तैयार किया है. इसमें हार्ट बीट को रीड करने के लिए हार्ट आईडी है. हर शख्स के फिंगर प्रिंटस की तरह ही हृदय की गति और उसके वाइब्रेशन का तरीका भी अलग होता है. लिहाजा बैंड पहनने वाले व्यक्ति के इलेक्ट्रॉन

AIDS का नया टीका, शरीर से HIV का नामोनिशान मिटा देगा!

वाशिंगटन : एड्स का एक नया टीका शरीर से घातक एचआईवी को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम हो सकता है। एक नए अध्ययन में इस टीके के बारे में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ओरेजोन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में विकसित किए गए एचआईवी एड्स के इस टीके ने वनमानुषों में एड्स फैलाने वाले वायरसों के सभी निशान प्रभावी तरीके से मिटा देने की क्षमता का प्रदर्शन किया। इस टीके का परीक्षण वनमानुषों में पाए जाने वाले एचआईवी की तरह के एक अन्य वायरस एसआईवी पर किया जा रहा है। एसआईवी बंदरों में एड्स फैलाता है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि एचआईवी के लिए ऐसे टीके की जांच जल्दी ही इंसानों पर की जा सकेगी। ओएचएसयू वैक्सीन एंड जीन थरेपी इंस्टीट्यूट के सहायक निदेशक लुईस पिकर ने कहा कि अभी तक एचआईवी संक्रमण का इलाज बहुत कम मामलों में ही किया जा सका है, जिनमें एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एंटी-वायरल दवाइयां संक्रमण के तुरंत बाद दी गईं या जिन्होंने कैंसर पर काबू पाने के लिए सेल ट्रांसप्लांट करवाया। पिकर ने कहा कि हालिया शोध से प्रतीत होता है कि नए टीके से प्राप्त प्रतिरोधन क्षमता की प्रतिक्रियाओं में शरीर से एच

मकड़ी के जाले से बने ट्यूब में दौड़ेगी बिजली!

वांशिगटन: शोध से पता चला है कि मकड़ी के जाले से बने सूक्ष्म ट्यूब में उष्मा व बिजली का संचार हो सकता है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के भौतिकशास्त्री ईडन स्टीवन को मकड़ी के जाले और कार्बन नैनोट्यूब पर किए गए प्रयोग आश्चर्यजनक और पर्यावरण अनुकूल परिणाम मिले। स्टीवन ने कहा कि यदि हम विज्ञान के मूल को समझ जाए और जानें की प्रकृति कैसे काम करती है तो हम इसका प्रयोग करने की विधि समझ सकेंगे। इसके प्रयोग से हम नई स्वच्छ तकनीक का विकास कर सकेंगे। यह नई खोज शोध पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस में ऑनलाइन प्रकाशित हुई है। नैनोट्यूब को कार्बन की एक परमाणु के आकार की मोटाई वाली चादर के तौर पर समझा जा सकता है, जिसे मोर कर गोल कर एक नली बनाई गई है। नैनोट्यूब की चौड़ाई मनुष्य के बाल से 10 हजार गुना कम होती है। भौतिकशास्त्री ने कहा कि जब कोई चीज इतना सूक्ष्म हो, तो यह काफी अजीब व्यवहार करती है। स्टीवन ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस नई खोज को कई जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग ह्यूमिडिटी सेंसर, स्ट्रेन सेंसर, वजन को उठाने और बिजली के तार की तरह किया जा सकता है। (एजेंसी) sabhar : http://zeenews.in

मंगल मिशन के लिए भारत ने बनाया अंतरिक्ष यान

बेंगलुरू: भारत ने मंगल अभियान के लिए एक अंतरिक्ष यान निर्मित किया है। इस यान को इसी वर्ष अक्टूबर और नवंबर के बीच आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा जाएगा। इसरो के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह केंद्र के निदेशक एस. के. शिवकुमार ने यहां यान के पूर्वावलोकन के मौके पर पत्रकारों से कहा कि देश के पहले मंगल अभियान के लिए 21 अक्टूबर से 19 नवंबर के बीच छोड़े जाने के लिए हमारा अंतरिक्ष यान पूरी तरह तैयार है। इसमें पांच उपकरण मौजूद हैं, जो नौ महीने के मिशन के बाद यान के मंगल की कक्षा में पहुंचने पर वहां विभिन्न प्रयोग करेंगे। देश के पहले मंगल अभियान के लिए सरकारी स्वामित्व वाली इसरो पर 4.5 अरब रुपयों की लागत आएगी। इसमें अंतरिक्ष यान पर 1.5 अरब रुपये, रॉकेट पर 1.1 अरब रुपये तथा अभियान के क्रियान्वयन के लिए प्रक्षेपण केंद्र के विकास पर 1.9 अरब रुपये की लागत शामिल है। मंगल यान निर्माण परियोजना के निदेशक एस. अरुणन ने कहा कि अंतरिक्ष यान का निर्माण सिर्फ 12 महीनों में कर लिया गया। यह यान मंगल के चारों तरफ उसकी सतह से

आईफ़ोन5: पासवर्ड का दौर ख़त्म?

ऐपल के नवीनतन आईफ़ोन 5एस का फ़िंगरप्रिंट सेंसर क्या इस बात का संकेत है कि पासवर्ड का वक़्त ख़त्म हो रहा है? नए टच आईडी फ़ीचर से यूज़र अपने फ़ोन को सिर्फ़ छूकर खोल पाएगा और उसे मुश्किल पासवर्ड याद करने के झंझट की ज़रूरत नहीं रहेगी. स्कॉटलैंड यार्ड तो 1901 से ही फ़िंगरप्रिंट का इस्तेमाल कर रही है.हालांकि शरीर की विशेषताओं से आदमी की पहचान करने वाली बायोमैट्रिक्स तकनीक कुछ समय से चलन में है. इसके अलावा व्यापारिक क्षेत्रों में निजी कंप्यूटरों में बड़े पैमाने पर फ़िंगरप्रिंट सेंसर्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. तकनीक की दिक्कतें हालांकि  क्लिक करें स्मार्टफ़ोन , जैसे कि मोटोरोला एट्रिक्स 4जी में, किए गए प्रयोगों में कुछ दिक्कत आ गई और अंततः इसे छोड़ देना पड़ा. लेकिन न्यूज़ वेबसाइट प्लेनेट बायोमैट्रिक्स के मैनेजिंग एडिटर मार्क लॉकी को उम्मीद है कि यह आने वाले वक़्त की आहट है. उन्होंने बीबीसी से कहा, "यह उद्योग लंबे वक्त से ऐसे ही क्षण का इंतज़ार कर रहा था." " उद्योग लंबे वक्त से ऐसे ही क्षण का इंतज़ार कर रहा था " मार्क लॉकी, मैनेजिंग एडिटर, प्ल

दुनिया के पहले "अदृश्य" भवन का निर्माण दक्षिणी कोरिया में होगा

"फोर्ब्स" पत्रिका में छपी और टीवी कंपनी "सी.एन.एन." द्वारा प्रसारित एक ख़बर के अनुसार, दक्षिण कोरियाई हवाई अड्डे के पास "इन्फिनिटी टॉवर" का निर्माण करने का ठेका एक अमरीकी भवन-निर्माण कंपनी "जी.डी.एस. आर्किटेक्ट्स" को दिया गया है। "जी.डी.एस. आर्किटेक्ट्स" कंपनी इस भवन के निर्माण के लिए एक ऐसी विधि अपनाएगी कि यह भवन "अदृश्य" बन जाएगा। इसके लिए एल.ई.डी. प्रोजेक्टरों और ऑप्टिकल कैमरों का उपयोग किया जाएगा। इस "इन्फिनिटी टॉवर" की ऊँचाई 450 मीटर होगी और यह टॉवर अपनी ऊँचाई की दृष्टि से दुनिया की छठी सबसे ऊँची गगनचुंबी इमारत होगी। sabhar : http://hindi.ruvr.ru और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/news/2013_09_18/DKoriya-attashya-bhavan/

नया जिगर लगने से उम्र भी घट गई : चढ़ी जवानी बुड्ढे नूँ

अहमदाबाद के 61 वर्षीय निवासी करक पिल्ला को जिगर की बीमारी थी। लेकिन न केवल उनकी बीमारी दूर हो अहमदाबाद के 61 वर्षीय निवासी करक पिल्ला को जिगर की बीमारी थी। लेकिन न केवल उनकी बीमारी दूर हो गई, बल्कि उनका बुढ़ापा भी दूर हो गया। डॉक्टरों ने एक दुर्घटना में मारे गए एक 21 वर्षीय नौजवान का जिगर निकालकर उनके बीमार यकृत की जगह लगा दिया था। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और वे स्वस्थ हो गए। लेकिन ऑपरेशन के एक साल बाद करक पिल्ला के सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो गए। उनके चेहरे की झुर्रियाँ भी ख़त्म हो गईं। डॉक्टरों ने एक और अनूठी चीज़ की ओर भी ध्यान दिया। 12 साल से डायबिटीज यानी मधुमेह की बीमारी से परेशान पिल्ला की मधुमेह की बीमारी भी उनके शरीर से पूरी तरह गायब हो गई। sabhar : http://hindi.ruvr.ru/ और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/2012_07_17/jigar-umr-javani/

जापान ने मन की बात समझने वाली मशीन बनाई

© फ़ोटो: ru.wikipedia.org जापान में एक ऐसी मशीन बना ली गई है, जो मन की बात समझकर काम करती है। यह मशीन जापान में एक ऐसी मशीन बना ली गई है, जो मन की बात समझकर काम करती है। यह मशीन एक टोपी की तरह है, जिससे जुड़े तार व्यक्ति के सिर पर लगे चिपों से जोड़ दिए जाते हैं। ये चिप दिमाग़ की नसों में होने वाले रक्तप्रवाह के मामूली से दबाव को भी महसूस कर लेते हैं। जब इस मशीन का प्रयोग करके देखा गया तो मशीन से जुड़े व्यक्ति ने बिना हिले-डुले सिर्फ़ दिमागी सोच के माध्यम से अपनी व्हील चेयर को मनचाही दिशा में आगे खिसका दिया। उसके बाद उसने खिड़की पर लगे पर्दे को सरका दिया, टेलीविजन को खोला और बंद किया तथा कमरे की बत्ती को भी बंद करके फिर खोल दिया। इस मशीन का आविष्कार करने वाली कम्पनी का कहना है कि वर्ष 2020 तक इस मशीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना संभव हो जाएगा। यह मशीन बिस्तर पर पड़े असहाय लोगों और विकलाँगों के लिए बड़ी सहायक सिद्ध होगी। sabhar : http://hindi.ruvr.ru और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/2012_11_02/japan-navishkar-man-machine/

2035 तक आदमी की जगह रोबोट मज़दूरी करेंगे

Photo: EPA वर्ष 2025 तक विकसित देशों में रोबटों की संख्या उन देशों की जनसंख्या से ज़्यादा होगी और वर्ष 2032 वर्ष 2025 तक विकसित देशों में रोबटों की संख्या उन देशों की जनसंख्या से ज़्यादा होगी और वर्ष 2032 में उनकी बौद्धिक-क्षमता भी मानवीय बौद्धिक-क्षमता से अधिक हो जाएगी। और वर्ष 2035 तक रोबट पूरी तरह से मानव की जगह श्रमिक का काम करने लगेंगे। मानवजाति अभी भी क्रमिक विकास के दौर से गुज़र रही है। प्रतिरोपण विज्ञान के विकसित होने की वज़ह से मानव की औसत आयु बढ़कर 200 वर्ष तक हो सकती है। मास्को में अमरीकी कम्पनी सिस्को के प्रमुख तक्नीशियन डेव एवन्स ने यह भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि यदि बीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक मानवजाति का ज्ञान हर सौ वर्ष में बढकर दुगुना हो जाता था, तो आज हर 2-3 साल में ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि त्रिआयामी (थ्री डी) प्रिन्टर का आविष्कार तक्नोलौजी के क्षेत्र में अभी तक मानवजाति की सबसे ऊँची छलाँग है। इसका मतलब यह है कि किसी चीज़ को बनाने के लिए उसके त्रिआयामी डिजिटल मॉडल पर विभिन्न प्रकार की सामग्री को परत दर परत चिपकाया या जोड़ा जा सकता है। भविष्य मे