इस सिद्धांत के अनुसार सभी कण एक धागे रूपी रचना के रूप में है जिसे स्ट्रिंग कहते है यह अति छोटी इकाई है तथा फ्रीकवेंसी पे आधारित होती यह एक आयाम की संगरचना है इसकी एक निश्चित लम्बाई है यह गति के अतिरिक्त दोलन भी कर सकता है यदि यह दोलन करे तो हम जान नहीं सकते यह बिंदु है या रिंग यह किसी और तरीके से गति करे तो उसे फोटान कहा जाता है तीसरे तरीके से दोलन करने पे क्वार्क कहा जा सकता है यानी अलग अलग तरीके से गति करने पे सभी मुलभुत कणो की ब्याख्या कर सकता है यदि स्ट्रिंग सिद्धांत सही है तो समस्त ब्रमांड कणों से नहीं स्ट्रिंग से बना है डबल स्लेट एक्सपरिमेंट में यह सिद्ध किया जा चुका की स्ट्रिंग या इलेक्ट्रान देखने से प्रभावित होते है जब देखा जाता है तो बिंदु के रूप में दिखायी देते है और जब नहीं देखा जाता है तो वेब के रूप में ब्यवहार करते है भारतीय आधात्मिक दर्शन मन दृष्टि और स्वर पे आधारित मंत्रो का प्रयोग करके सृष्टि या ब्रमांड में परिवर्तन किया जा सकता है नई सृष्टि को मन की कल्पना से बनाया जा सकता है इस प्रकार स्ट्रिंग सिद्धांत इसकी पुष्टि करता है की मंत्र इत्यादि के द्वारा कुछ भी किया जा सकता है
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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