अंतर्मन और चेतना तथा इच्छापूर्ति
भाग-१ अंतर्करन अथवा अंतर्मन की वो स्थान जहाँ जाकर उत्पन इक्षाओं की कम्पन कुदरत ये परम चेतना अनुभव करती हैं, सुनती हैं, स्वीकार करती हैं और अंत फ़ैसला भी आज मैं तुम्हें एक रोचक तथ्य से अवगत करवाता हुँ ऐसा लोग कहते हैं और सभी का मानना भी हैं सभी का मानने से अर्थात जो सभी रूप ऑऑ स्वीकार करते हैं तो यहाँ धर्म और मजहब जैसी शब्द का प्रयोग करना उचित नही होगा तो ऐसा सभी मानते हैं की एक दिन की अनेको इक्षाओ में से एक इक्षा अवश्य कभी ना कभी जाकर पूर्ण होती हैं । अब अनेकों इक्षाओं में से कौन सी एक इक्षा पूरी होती क्यूँकि वो जीवन में कब जाकर पूर्ण होगी या होती इसकी ठीक ठाक अनुमान लगाना किसी भी व्यक्ति हेतु संभव नहीं😆😆😂😂 तो अब यहाँ एक सवाल का जवाब डाउ ज़रा किस समय की कौन सी इक्षा मेरी पूर्ण हुई जिसके पास ऐसी बोध हो वाक़ई में वो तीक्ष्ण से भी तीक्ष्ण बुद्धि प्राप्त कर लिया हो अब कैसेय प्राप्त किया ये उसकी अपनी विधि हैं क्रिया हैं दिनचैर्या हैं इसलिए आइलेट कोई टिप्पणी नही तो जिसे वो बोध प्राप्त हैं वाउ बुद्धतव से जायदा दूर नही हैं 🙌🏼 परंतु स्वाभाविक रूप से ये ज्ञात करना निरंतर स्वयं का अध्य...