{{{ॐ}}} # प्राण क्या है जिस अन्न को हम खाते है वह पेट मे चला जाता है वहाँ पर नाभि में रहने वाली जठराग्नि उसे पत्ती है और चन्द घण्टों के अन्दर उस अन्न कि स्थल भाग मल मुत्र पसीने इत्यादि के द्वारा बाहर चला जाता है । और उसका वास्तविक तत्व भीतर ही रह जाता है उसी जठराग्नि के द्वारा शक्ति के रूप मे बदल जाता है और प्राण वही स्रोतों द्वारा शरीर के सारे अंगो मे प्रवाहित होता रहता है । साधारण लोग प्राण को वायु कहते है क्योंकि हवा हमारे जीवन के लिए सबसे आवश्यक है इसलिए अगर हम उसे प्राण के नाम से पुकारने लगे तो भी कोई बुराई नही है । परन्तु प्राण उस शक्ति का नाम है जो हमे जीवन देती है इसी को हम जीवन शक्ति कहते है । जीवन शक्ति का बहुत बडा भण्डार इस ब्रह्माण्ड की चोटी पर है वहाँ से सीधी ब्रहारंध्र के शरीर मे प्रवेश हो अपने अपने केन्द्र पर इकट्ठा होती है । इसको सुरति,कुण्डलिनीशक्ति और आघाशक्ति इत्यादि कहते है । मुख्य प्राण शक्ति इसी का नाम है। यह जीवन शक्ति ब्रह्माण्ड से जब शरीर मे उतरती है तो वह चोटी के स्थान से प्रवेश हो उसके एक इंच नीच
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