साइंटिस्ट्स का कहना है कि अगर कोई 2050 तक ज़िंदा रहा, तो वह मौत को हमेशा के लिए टाल सकता है! यह सुनकर भले ही आपको अविश्वसनीय लगे, लेकिन यह एक गंभीर वैज्ञानिक दावे की शुरुआत है। हाल के शोधों और विकासों के अनुसार, चिकित्सा और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इतनी प्रगति हो सकती है कि इंसान अपनी जीवनकाल को बढ़ाने में सक्षम हो सकता है, और शायद एक दिन "अमरता" की सीमा तक पहुंच सकता है। आजकल के वैज्ञानिक शोधों में जीवनकाल बढ़ाने के लिए कई उपायों पर काम हो रहा है, जैसे एंटी-एजिंग टेक्नोलॉजी, जीन थेरेपी, स्टेम सेल रिसर्च और क्लोनिंग। साथ ही, कुछ शोधकर्ता न्यूरो साइंस और बायोमेडिकल साइंस के उपयोग से मृत्यु को टालने के तरीकों पर काम कर रहे हैं, ताकि शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाली जैविक प्रक्रिया को स्थिर किया जा सके। हालांकि, अभी यह सभी विचार प्रयोगात्मक हैं और इनमें काफी समय और शोध की आवश्यकता है, लेकिन 2050 तक इस दिशा में संभावनाएं वाकई काफी बढ़ चुकी होंगी। यह दावा इस बात का भी संकेत देता है कि भविष्य में हम मानव जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने से पहले उसे बढ़ा सकते हैं। #Immortal...
💥 खून में कचरा (Acidity) की वजह से आता है (कोलेस्ट्रोल) हार्टअटैक,अर्जुन की छाल से ऐसे करे कण्ट्रोल.....!! बागभट्ट जी सुबह दूध पीने को मना करते हैं लेकिन जो सुबह हम चाय पीते हैं उसमें भी दूध का यूज होता है बाग़भट्ट जी के किसी भी सूत्र और शास्त्र में चाय का उल्लेख नहीं किया गया क्योंकि बाग़भट्ट जी 3500 वर्ष पहले हुए और चाय 250 साल पहले अंग्रेजों के द्वारा लाई गयी । हाँ लेकिन उन्होंने काढ़े का जीक्र किया है वो कहते है जो काढ़ा हमारे वात पित्त और कफ को कम करे ऐसा कोई भी कड़ा सुबह दूध में मिलाकर पिया जा सकता है जैसे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा वात को सबसे ज्यादा कम करता है यह रक्त की एसिडिटी को कम करता है जो की शरीर की एसिडिटी से भी ज्यादा खतरनाक होती है और हार्ट अटैक का कारण बनती है अर्जुन की छाल सबसे तेजी से रक्त की एसिडिटी को ख़त्म करता है इसलिए अर्जुन की छाल का काढ़ा पीयें नवम्बर दिसम्बर जनवरी और फ़रवरी में वात सबसे ज्यादा होता है ठण्ड के दिनों में वायु का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है और इस समय में अर्जुन की छाल का काढ़ा गर्म दूध में मिलकर पीयें तो औषधि का काम करेगा. याद रहे की यह काढे क...