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हाथ लग सकता है ताउम्र जवां रहने का नुस्खा

हम हमेशा जवान रहना चाहते हैं। यही वजह है कि जवान रहने के लिए हम नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं। कभी किसी टॉनिक में, तो कभी किसी क्रीम या फिर कॉस्मेटिक सर्जरी में। हालांकि सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं, क्योंकि बाहर से हम कितने भी जवां दिखें, लेकिन अंदर से शरीर कमजोर और बूढ़ा होता जाता है। लेकिन अगर अमेरिकी वैज्ञानिकों की कोशिश सफल रहती है, तो सदा जवान बने रहने का नुस्खा हमारे हाथ लग सकता है। दरअसल वैज्ञानिकों को पता चल गया है कि असल में जवानी का राज बाहर नहीं, बल्कि शरीर के डीएनए में छिपा है। वैज्ञानिकों ने इसे समझने के लिए डीएनए से जुड़ी ह्यूमन बॉडी क्लॉक (जैविक घड़ी) को खोज लिया है। यह घड़ी शरीर में मौजूद कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों के उम्र की गणना करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस घड़ी से किसी तरह बढ़ती उम्र के प्रोसेस को उल्टा किया जा सके, तो ताउम्र जवान रहने का सपना हकीकत में बदल सकता है। 
सदा जवान बने रहने का राज : हालांकि अब भी वैज्ञानिकों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या यह जैविक घड़ी सदा जवान बने रहने के राज को खोल पाएगी। क्या यही घड़ी उन फैक्टर्स को कंट्रोल करती है, जिससे उम्र बढती है। वैसे थियरी के तौर पर यह संभव है कि अगर हम समझ जाएं कि उम्र कैसे बढ़ रही है तो हम उस प्रोसेस को उल्टा भी कर सकते हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने इस घड़ी के बारे में और समझने की कोशिश जारी रखी है। इससे जवान बने रहने के राज का पता लगाया जा सकता है। 
हर अंग की अलग उम्र : यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के स्टीव होवर्थ के अनुसार, शरीर के हर अंग की उम्र अलग-अलग होती है। कोई जल्दी बढ़ता है और कोई धीमी गति से। वहीं कोई बीमार अंग किसी सामान्य अंग की तुलना में ज्यादा उम्र का होता है। इसी रिसर्च से पता चला कि महिलाओं के स्तन उनके शरीर के मुकाबले तेजी से बढ़ते हैं। इसी वजह से जब स्तन कैंसर होता है, तो स्वस्थ टिश्यू के मुकाबले ट्यूमर वाले टिश्यू 36 साल बड़े और उनके आस-पास के टिश्यू 12 साल बड़े होते हैं। यही वजह है कि कैंसर में उम्र बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है। 
कैसे काम करती है घड़ी : वैसे ऐसी जैविक घड़ी को तैयार करने की कोशिश पहले भी हुई। शरीर की लार और हार्मोन के सहारे जैविक घड़ी बनाने की कोशिश की। हालांकि यह पहली बार है जब किसी घड़ी की मदद से हम यह जान पाए हैं कि शरीर के अंग अलग-अलग तेजी से बढ़ते हैं। होवर्थ ने घड़ी बनाने के लिए मिथायलेशन प्रक्रिया पर फोकस किया। मिथायलेशन प्रक्रिया की वजह से ही डीएनए में रसायनिक बदलाव होते हैं। होवर्थ पुराने आंकड़ों और 51 तरह के टिश्यू और कोशिकाओं के 8 हजार नमूनों की मदद से जन्म के समय से लेकर 101 साल की उम्र तक डीएनए के मिथायलेशन प्रोसेस के विभिन्न लेवल को चार्ट पर उतारने में सफल रहे। इसके बाद इस चार्ट के डेटा की मदद से उन्होंने इस घड़ी को तैयार किया। घड़ी कितनी प्रभावी है यह जानने के लिए होवर्थ ने टिश्यू के बायलॉजिकल उम्र का मिलान उनके क्रोनोलॉजिकल उम्र से किया। कई बार के टेस्ट से यह बात निकलकर आई कि घड़ी सही काम कर रही है। उनकी रिसर्च से यह बात भी निकल कर आई कि हर स्टेम सेल नई पैदा हुई कोशिकाओं जैसे है। अगर किसी इंसान में सेल को स्टेम सेल से बदला जाए तो घड़ी के अनुसार उसकी उम्र जीरो हो जाएगी। होवर्थ की खोज से यह भी पता चला कि उम्र बढ़ने के साथ जैविक घड़ी की गति भी कम ज्यादा होती है। शुरुआत में घड़ी काफी तेजी से चलती हैं, किशोरावस्था के बाद घड़ी में ठहराव आ जाता है और 20 साल के बाद घड़ी एक नियमित गति से चलती है। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/

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