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हमारा विज्ञानऔर हमारी धरोहर

जब हमारे देश में बड़ी बड़ी  राइस मील नहीं थी तो धान को घर पर ही कूटकर भूसे को अलग कर चावल प्राप्त किया जाता था... असलियत में वही चावल था जिसे  whole rise कहते हैं... चावल का प्राकृतिक रंग सुनहरा भूरा ही होता है... सुर्ख लाल काला भी होता है लेकिन इंसानी फितरत है उसे सहज प्राकृतिक  चीजों से नफरत होती है...सफेद चमड़ी रंगत की तरह सफेद वस्तुओं से उसका अलग ही आकर्षण होता है |

इसे समझने के लिए आपको चावल  दाने की संरचना को समझना होगा... चावल  ही क्या प्रत्येक खाद्यान्न ज्वार मक्का बाजरा सभी की सरचना  4 स्तरीय होती है... सबसे बाहरी संरचना  जिसे हस्क बोला जाता है या भूसी कहते हैं वह होती है... दूसरा स्तर ब्रेन का होता है जिसे चोकर भी कह देते हैं... इसमें कैल्शियम मैग्नीशियम सहित जरूरी मिनरल होते हैं.. तीसरा स्तर  ग्रेन का होता है... यह चावल या किसी दाने  भूर्ण होता है इसमें विटामिन प्रोटीन अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में होते हैं..  चावल या किसी दाने की जीवनी शक्ति परमात्मा ने इसी हिस्से में डाल दी है यहीं से किसी वृक्ष , पौधे का अंकुर निकलता है.. मोटे तौर पर चौथा व अंतिम स्तर एंडोस्पर्म होता है इसमें केवल स्टार्ट , कार्बोहाइड्रेट होती है यह पूरी तरह सफेद होता है चाहे गेहूं का हो या चावल का हो... इसे हम कह सकते हैं यह चावल के तीसरे स्तर का भोजन होता है अर्थात ग्रेन का....|

समस्या अब यहां से शुरू होती है मिलों में जब से  इंसान ने विज्ञान तकनीक में महारत हासिल की है... प्रोसेसिंग मशीनों की सहायता से चावल के तीन स्तरों को अलग कर दिया जाता है चौथे मृत अंतिम स्तर  endosperm जिसमें केवल कार्बोहाइड्रेट है जो केवल शरीर में शुगर या मोटापा ही बढ़ाएगा उसको कंपनियां  चावल के दाने के रूप में पैक कर बेच रही है जिसे हम हम खाने में  लगाते हैं... अर्थात सफेद चावल यह वही चौथा अंतिम हिस्सा है जिसकी सार्थकता संपूर्ण चावल के तीन स्तरों के साथ ही होती है बगैर इन तीन स्तरों के यह सफेद चावल कुछ भी नहीं है... इसमें ना प्रोटीन होती है ना फाइबर कैल्शियम व विटामिन इसमें केवल स्टार्च  कार्बोहाइड्रेट ही होती है...|

पहले हमारे पूर्वज जो  घर पर ही या खलियान में हाथ कुटा चावल तैयार करते थे वह संपूर्ण चावल होता था केवल  भूसी को अलग करते थे चारों स्तरों से युक्त सुनहरा चावल जिसे ब्राउन राइस कहते हैं... यह सुनहरा चावल ही चावल है.... सफेद चावल तो सच्चे अच्छे सुनहरे चावल  का मृत अंतिम स्तर है जो सही मायने में चावल के भ्रूण  की ऊर्जा के लिए बनी हुई है... ठीक इसी तरह हम इंसानों को उर्जा से ज्यादा पोषण की जरूरत है पोषण मिलता है विटामिन  मिनरल  प्रोटीन से... अब जिस हिस्से में यह पोषण था वह तो हमने वेस्ट  बायो प्रोडक्ट बनाकर अलग कर दिया... हमारे हिस्से में आई बीमारी....वनवासी  आज भी संपूर्ण चावल या सुनहरा चावल इस्तेमाल में लाया जाता है वह बहुत मजबूत होते हैं... जिम जाने वाले नौजवान भी आजकल सुनहरा चावल ही खाते हैं मोटापे कुपोषण से बचने के लिए.... अब डायटिशियन लोगों को जागरूक कर रहे हैं लेकिन कंपनियां अपने स्वार्थ और लालच के लिए तमाम तरीके के एडवरटाइजिंग सफेद चावल के प्रचार प्रसार को लेकर 
करती है आम व्यक्ति यह सब नहीं जानता था क्योंकि वह अपनी प्राचीन परंपराओं बुजुर्गों की आहार शैली को लेकर एकदम अनभिज्ञ है..|

  समझिए चावल का मतलब सुनहरा चावल संपूर्ण चावल या ब्राउन राइस यह पोस्टिक भी है स्वादिष्ट भी है|
 हमारे   पूर्वज इसी को इस्तेमाल में लाते थे |

लेखक : आर्य सागर खारी

विकल्प 
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धान को छिलका सहित आंशिक रूप से उबालने के बाद उसे सुखाकर जो चावल निकाला जाता है उसे उबला चावल (Parboiled rice) कहते हैं। इसके लिये, धान को पहले पानी में कुछ समय के भिग्कर रखा जाता है, फिर उसे उबाला जाता है और अन्ततः सुखा लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अपनाने से ढेंका या हाथ से भी चावल निकालने में आसानी होती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया के करने से चावल में चमक आती है तथा उसमें पोषक तत्त्व अधिक रह जाते हैं। विश्व का लगभग ५०% उबला चावल खाया जाता है। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यान्मार, मलेशिया, नेपाल, श्री लंका, गिनिया, दक्षिण, अफ्रीका, इटली, स्पेन, नाइजेरिया, थाईलैण्ड, स्विट्जरलैण्ड और फ्रांस में उबालकर चावल निकालने की विधि प्रचलित है

लेखक : राजीव कुमार, CA, धुरी, पंजाब

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