सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

क्या है Neuralink Brain Chip

 ब्रेन-चिप प्रौद्योगिकी विकास User क्या दिमाग में चिप डालकर इंसानों को कंट्रोल करने की योजना बन चुकी? ब्रेन-चिप  ChatGPT अभी तक, दिमाग में चिप डालकर इंसानों को कंट्रोल करने की योजना का कोई साक्षात्कार नहीं हुआ है और ऐसी तकनीकों के बारे में भी कोई प्रमाणिक सूचना नहीं है जो मुझे अवगत कराती हो। ब्रेन-चिप प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन इसका उपयोग आमतौर पर मेडिकल और संशोधन के क्षेत्र में होता है, जैसे कि न्यूरोसाइंस, न्यूरोप्रोस्थेटिक्स, और न्यूरोलॉजिकल बिपप्रौद्योगिकल इम्प्लांट्स आदि। अभी तक, मनुष्यों को कंट्रोल करने के लिए इस तरह के चिप्स का उपयोग नहीं होता है। व्यक्तिगत गोपनीयता और नैतिकता से जुड़े मुद्दों के कारण, इस प्रकार के तकनीकी विकास पर भी विवाद हैं। इसे संभवतः बच्चों के सुरक्षा या नेतृत्व विकास को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस तकनीक के उपयोग के लिए नैतिक और कानूनी दिशानिर्देश और प्रमाणित नियंत्रण अपनाने की जरूरत होगी User Neuralink Brain Chip एक तकनीकी उपकरण है जो मनुष्यों के दिमाग में एक चिप या इम्प्लांट के रूप मे...

अब गाय के गोबर से बिजली

ब्रिटेन के किसान अब गाय के गोबर से बिजली पैदा कर के अच्छी कमाई कर रहे हैं। ये किसान गाय के गोबर का इस्तेमाल कर के AA साइज की ‘पैटरी (बैटरी)’ तैयार कर रहे हैं। इन ‘Patteries’ को रिचार्ज भी किया जा सकता है। अब माना जा रहा है कि ये रिचार्जेबल ‘पैटरीज’ ब्रिटेन की रिन्यूवेबल एनर्जी की दिशा में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं। अनुसंधान में सामने आया है कि 1 किलो गाय के गोबर से 3.75 kWh (किलोवॉट ऑवर) बिजली पैदा की जा सकती है। इसे कुछ यूँ समझिए कि एक किलो गाय के गोबर से पैदा हुई बिजली से एक वैक्यूम क्लीनर को 5 घंटे तक संचालित किया जा सकता है, या फिर 3.5 घंटे तक आप आयरन का इस्तेमाल करते हुए कपड़ों पर इस्त्री कर सकते हैं। इन बैटरियों को ‘Arla’ नाम की डेयरी कोऑपरेटिव संस्था ने बनाया है। इस कार्य में ‘GP बैटरीज’ नाम की बैटरी कंपनी ने किसानों की मदद की है। दोनों कंपनियों ने बताया है कि एक गाय से मिलने वाले गोबर से 1 साल तक 3 घरों को बिजली दी जा सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो अगर 4.6 लाख गायों के गोबर को एकत्रित किया जाए और ऊर्जा के उत्पादन में उनका उपयोग किया जाए तो इससे यूनाइटेड किंगडम के (UK) के 12 ला...

नैनोटेक्नोलॉजी भविष्य की संभावनाएं

  एक ऐसी दुनिया की कल्पना कीजिए जसे कार को अणु दर अणु असेम्बल किया जाता है और लोगों का ऑपरेशन कोशिका के आकार के रोबोट द्वारा किया जाता है। वे मानव मस्तिष्क की फैटेसी और साइंस फिक्शन का हिस्सा लग सकता है। लेकिन हम ऐसी सूक्ष्म मशीन बनाने के करीब पहुंच चुके हैं जो का निर्माण आणविक स्तर पर होगा की मदद से हम आणविक आकार के कंप्यूटर और रोबोट बनाने में सफल होगे, जिनकी मदद से कई आविष्कार करने में सफल होंगे। क्या है नैनोटेक्नोलॉजी ? नैनोटेक्नोलॉजी की सर्वप्रथम परिकल्पना 1959 में नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकविद रिचर्ड फेनमैन ने अपने देयर इज प्लेन्टी ऑफ रूम एट द बॉटम नामक भाषण में की थी तब फेनमैन ने प्रतिपादित किया था कि पारंपरिक आकार की रोबोट भुजाओं से खुद की अनुकृति तैयार कराई जाए जिसका आकार मौलिक रोबोट भुजा से 1/10 हो। तत्पश्चात इन नई निर्मित रोबोट भुजाओं से तब तक सूक्ष्म से सूक्ष्मतर रोबोट भुजाओं का निर्माण किया जाये जब तक वे आणविक आकार की न हो जाएं। यदि हमारे पास ऐसी करोड़ों व अरबो आणविक रोबोट भुजाएँ हो जाएं तो उन्हें प्रोग्राम करके एक अकेले अणु से विशाल आकार के उत्पाद तैयार कर सकते हैं...

सीएसए और आईआईटी ने मिल कर बनाया क्रॉप ट्रीटमेंट इक्विपमेंट नाम का

  खेतों में खड़ी फसलों में होने वाली डिसीज को लेकर प्रोडक्शन घटने से फार्मर्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) और आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो कि खेत में खड़ा होकर फसलों में होने वाले रोगों को बताएगा साथ ही हल्का-फुल्का रोग होने पर दवा का छिड़काव भी कर देगा. सेंट्रल गवर्नमेंट से इस रोबोट को पेटेंट सर्टिफिकेट भी मिल गया है.. कीमत 25 लाख से ऊपर • सीएसए के प्लांट पैथोलॉजी डिपार्टमेंट से के साइंटिस्ट डॉ. एसके बिस्वास, आईआईटी के डॉ. अनिरुद्ध भट्टाचार्य, डॉ. विशाख भट्टाचार्य और डॉ. महेंद्र कुमार गोहिल ने टीम के साथ मिल कर जिस रोबोट को तैयार किया है, उसका नाम शस्य उपचार यंत्र (क्रॉप ट्रीटमेंट इक्विपमेंट) रखा गया है. साइंटिस्ट और टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट की ओर बनाए गए रोबोट की कीमत 25 लाख से ऊपर हो सकती है. हालांकि कीमत को लेकर अभी तक कोई ऑफिशियल डिक्लेरेशन नहीं किया गया है. ऐसे में यह रोबोट रिच फॉर्मर्स और एफपीओ के लिए उपयोगी साबित होगा. एफपीओ के जरिए इस रोबोट, का उपयोग छोटे फार्मर भी कर सकेंगे. ● सीएसए के खेत...

ए आई टेक्नोलॉजी: भविष्य की अद्भुतता का रहस्य

 ए आई टेक्नोलॉजी: भविष्य की अद्भुतता का रहस्य हर एक के जीवन में तकनीकी उन्नति ने अपार प्रभाव डाला है। विज्ञान और तकनीक ने हमारी दिनचर्या को पूरी तरह से बदल दिया है और एक नया युग शुरू हो गया है, जिसे हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कहते हैं। AI ने न केवल व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है, बल्कि हर आदमी के जीवन को सरल और सुविधाजनक बना दिया है। आइए, हम एक यात्रा पर निकलें जहां हम AI टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानेंगे और इसके भविष्य के बारे में सोचेंगे। H1: Introduction to AI Technology आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, यानी AI, एक ऐसी तकनीक है जो मानव-जैसी बुद्धि को सिमुलेट करती है। यह कंप्यूटर विज्ञान और संगणक विज्ञान का एक उदाहरण है जिसमें मशीनों को सिखने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की जाती है। एक AI सिस्टम में अल्गोरिदम, संगणक शक्ति, और सामान्य बुद्धि के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है ताकि वह मानवों के समान काम कर सके। H2: Understanding AI Technology AI टेक्नोलॉजी को समझने के लिए हमें सबसे पहले उसके तत्वों को समझना जरूरी है। इसमें विशेष रूप से तीन मुख्य तत्व ह...

हम बूढ़े क्यों होते है

 बूढ़ापे का कारण User हम  बूढ़े  क्यों होते है  ChatGPT मनुष्य के शरीर में जीवन काल में वृद्धावस्था आना अनिवार्य होता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो जीवन के साथ होती है। हम बूढ़े क्यों होते हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं: जीवन की अवधि: मनुष्य का जीवन काल निश्चित होता है, और इसके साथ उम्र बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जैसे हम बचपन से युवावस्था में चलते हैं, वैसे ही हमें वृद्धावस्था में जाना होता है। बायोलॉजिकल प्रक्रिया: जीवन की प्रक्रियाओं में उम्र के साथ बदलाव होता है। वृद्धावस्था के साथ, शरीर की ऊर्जा संपत्ति कम होने लगती है, शरीर की क्षमता में कमी होती है, और विभिन्न शारीरिक प्रभाव जैसे बाल सफेद होना, त्वचा की लचीलापन की कमी, और मस्तिष्क की क्षमता में कमी आने लगती है। ये सब प्रक्रियाएं हमें वृद्धावस्था के लक्षण देती हैं। जीवन शैली: हमारी जीवन शैली और आदतें भी हमारी उम्र को प्रभावित कर सकती हैं। उच्च तनाव, वृद्धावस्था को रोकना या धीमा करना संभव नहीं है, क्योंकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हर व्यक्ति को उस पर प्रभाव नहीं डाल सकता है। हाल...

सृष्टि का आरंभ कैसे हुआ?

  सृष्टि होती है. उसके बाद सृष्टि का अंत हो जाता है, प्रलय हो जाती है. प्रलय के बाद पहले की भांति फिर सृष्टि होती है…. फिर प्रलय हो जाती है…. फिर सृष्टि और यह सिलसिला चल ही रहा है. समाप्त नहीं होगा। यह कब प्रारंभ हुआ यह भी कोई नहीं जानता। कब से है? यह तब से है जब से कब से नहीं था अर्थात अनादि और अनंत है.ऐसा मत हिंदू धर्म में मिलता है या यूं कहें कि सनातन धर्म में मिलता है. यह वेदों, पुराणों और दर्शन,सांख्य शास्त्र, पर आधारित है. बाइबिल में ऐसा नहीं है. अभी जो संसार दिखता है वह पहली बार बना है. इसे भगवान ने छः दिनों में बनाया और सातवें दिन विश्राम किया। एक दिन बाइबिल में 2Peter 3/8 के अनुसार मनुष्य के 1000 साल के बराबर होता है. जबकि क़ुरान Quraan 70/4 में एक दिन 50000 साल के बराबर बताया गया है.वैज्ञानिक कार्ल सीगन ने अपनी किताब cosmos कॉसमॉस(1985) पेज 258 पर लिखा है कि केवल हिंदू धर्म ही बताता है कि ब्रह्माण्ड बार-बार पैदा होता है और बार-बार समाप्त हो जाता है ,हिंदुओं की काल गणना को भी ‘बिग बैंग’ के समीप माना है. ब्रह्मा जी का एक दिन और रात मनुष्यों के 8. 64 बिलिय...