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भगवान् क्या है

****************************                       भाग --02                      ********* परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन  -----:भगवान् का विचार क्यों ?::----- ******************************         यदि भगवान् पर विचार करना है तो हमें सभी पूर्व मतों से दूरी बनानी पड़ेगी। तटस्थ रहना होगा। तटस्थ ठीक उसी तरह जैसे नदी के किनारे खड़ा वृक्ष बहती हुई धारा के प्रति तटस्थ रहता है। हमें भी उसी तरह से उनके प्रति निरपेक्ष रहना है, तभी ईमानदारी से इस बिंदु पर विचार हो सकता है। हम किसी मत पर न तो आस्था रखें और न अनास्था। तभी हम भगवान् के सही स्वरूप को जान-समझ सकते हैं।        भगवान् के बारे में हम क्यों विचार करें ?       यह भी एक उचित तर्क है। अगर हम अपने अस्तित्व, मति, गति को आकस्मिक मान लें तो फिर भगवान् पर विचार करना आवश्यक नहीं। लेकिन अध्यात्म और विज्ञान--दोनों का कहना है कि कोई भी कार्य बिना कारण के संभव नहीं है । फिर हमारे अस्तित्व का क्या कारण है ?       हर वस्तु का एक कारण होता है और उन सभी कारणों का भी एक कारण हो

अभौतिक सत्ता में परमात्मा की प्रेरणा से विद्यमान अनेक अदृश्य मंडलियां

--- ****************************** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्यपाद गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन       इस भौतिक जगत से जुड़े हुए अभौतिक जगत में परमात्मा की प्रेरणा से अनेक ऐसी मंडलियां हैं जो हमारे भौतिक जगत का न केवल सञ्चालन करती हैं वल्कि उस पर पूर्ण नियंत्रण भी रखती हैं। यह भौतिक जगत अभौतिक जगत से ऐसे जुड़ा हुआ है, ऐसे घुला-मिला है जैसे दूध और पानी घुला-मिला रहता है। उस अभौतिक सत्ता को साधारण लोग न तो देख पाते हैं और न जान-समझ पाते हैं। उस अभौतिक जगत की दिव्य मंडलियों के कई प्रयोजन होते हैं। इस भौतिक जगत में जो योग्य संस्कार-संपन्न व्यक्ति हैं, उनकी खोज करना और अभौतिक सता के ज्ञान-विज्ञान व गूढ़ तथा गोपनीय विषयों का उनके माध्यम से इस भौतिक जगत में प्रकट करना उन दिव्य मंडलियों का मुख्य प्रयोजन होता है।        प्रत्येक मनुष्य के भीतर किसी-न-किसी रूप में , किसी-न-किसी मात्रा में आध्यात्मिक शक्ति विद्यमान है। कोई नीचे के सोपान पर है और कोई है ऊपर के सोपान पर। कोई उससे भी ऊपर है। जो सोपान

सामान्य आबादी में निम्न रक्त विटामिन डी का स्तर

 सामान्य आबादी में, निम्न रक्त विटामिन डी का स्तर विभिन्न बीमारियों के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है, जिसमें टाइप 2 मधुमेह और गुर्दे की बीमारी शामिल है। सन एच. किम, एमडी, एमएस (स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन) और उनके सहयोगियों ने विटामिन डी और टाइप 2 मधुमेह (डी2डी) अध्ययन का एक माध्यमिक विश्लेषण किया, जो पूर्व-पूर्व वाले व्यक्तियों में गुर्दे के स्वास्थ्य पर विटामिन डी पूरकता के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था। मधुमेह, एक ऐसी स्थिति जो टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाती है, जो बदले में गुर्दे की बीमारी का प्रमुख कारण है। अध्ययन ने 2.9 साल की औसत उपचार अवधि के लिए 2,423 वयस्कों को अधिक वजन / मोटापे और पूर्व-मधुमेह के साथ विटामिन डी 3 4000 आईयू प्रति दिन या प्लेसबो के लिए यादृच्छिक बनाया। "D2d अध्ययन अद्वितीय है क्योंकि हमने उच्च-जोखिम वाले पूर्व-मधुमेह वाले व्यक्तियों की भर्ती की, जिनमें 2-आउट-ऑफ -3 असामान्य ग्लूकोज मान थे, और हमने 2,000 से अधिक प्रतिभागियों की भर्ती की, जो अब तक के सबसे बड़े विटामिन डी मधुमेह रोकथाम परीक्षण का प्रतिनिधित्व करते हैं," डॉ किम

Kriya Yoga Master, Paramahamsa Hariharananda

Kriya Yoga Master, Paramahamsa Hariharananda once said:                                               “In the New Testament we can read about Peter, who was a fisherman. He cast his net into the water to catch fish, but if the fish were intelligent they would escape. The whole world is a net in which you have been caught. Consequently, you are in bondage- the bondage of money, and material possessions, the bondage of physical pleasures, the bondage of strong likes and dislikes as well as the bondage of anger, pride, cruelty and other negative emotions. You are not free. Yet all delusions, illusions and errors come from within. By practicing Kriya Yoga, you can escape from the net and stay close to the fisherman’s feet. Only then you will remain free. If you think that you are intelligent or have a lot of pride and anger, offer them up to God. Only if you remain focused on the fontanel will you discover your real talent, along with wisdom and intelligence. You have to go beyond mind, th

आनन्दमय कोश शिव -शक्ति का संगम है

क्या आनन्दमय कोश शिव -शक्ति का संगम है?क्या है आनन्दमय  की साधना विधि के चार चरण-PART-01  क्या आनन्दमय कोश-शिव शक्ति का संगम है? - 09 FACTS;- 1-आत्मसत्ता का मूल स्वरूप सत्य, शिव, सुन्दर कहा गया है। परमात्मसत्ता की व्याख्या सत्-चित् आनन्द रूप में होती है। दोनों ही स्थितियाँ परम सुखद हैं, स्वभाविक है ।जीवन को सुखद, सन्तोषजनक और आनन्दमय होना चाहिए।प्रकृति कामधेनु है, उस से एक से एक अनुदान प्राप्त किये जा सकते हैं। परन्तु मकड़ी अपना जाला स्वयं बुनती और स्वेच्छा से उसमें निवास करती है। मनुष्य अपने लिए अपनी आस्थाओं के सहारे अपनी एक नई दुनियाँ बनाता है और उसमें स्वतन्त्रता-पूर्वक निवास करता है। अपनी दुनियाँ भली बनाये या बुरी, स्वर्ग रचे या नरक, यह उसकी इच्छा और क्रिया पर अवलम्बित है। दाता  ने तो कस्तूरी प्रचुर मात्रा में निकटतम स्थान नाभि में ही भर दी है। जिस क्षण चेतना का मिलन सहस्रार से होता है, अचानक तुम पार के जगत के लिए , सिद्धों के जगत के लिए उपलब्ध हो जाते हो। 2-योग में मूलाधार के प्रतीक के रूप में, काम केंद्र को चार पंखुड़ियों वाला लाल कमल माना जाता है। चार पंखुड़ियां चारों दिशाओं का प्र

कैंसर के लिए दवा मिल सकती है

 इस साल कैंसर (Cancer) जैसे बीमारी के लिए  के लिए एक कारगर दवा (Drug) मिल सकती है. पिछले तीस सालों से वैज्ञानिक KRAS नाम के प्रोटीन (Protien) को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी वृद्धि बहुत से कैंसर होने के संकेत मिलते हैं. KRAS अभी तक दवाओं से बेअसर रहा है क्योंकि वैज्ञानिकों इसमें काम करने के तरीके नहीं मिल सके हैं. इस साल इसकी दवा को इस साल मंजूरी मिल सकती है. यह कैंसर की पहली अधीकृत दवा होगी. Sabhar zeenews.com

निस्केयर के उद्देश्य कार्यकर्ता का संछिप्त विवरण

राष्ट्रीय विज्ञान संचार तथा सूचना स्रोत संस्थान  (निस्केयर), भारतीय विज्ञान संचार तथा भारतीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रश्वेखन केन्द्र (इंसडॉक) के दिनांक 30 सितम्बर 2002 को हुए विलय के पश्चात अस्तित्व में आया। निस्कॉम तथा इंसडॉक दोनों ही वैज्ञानिनक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के प्रमुखख संस्थान थे जो वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक सूचना (एस एंड टी) के प्रलेखन तथा प्रचार/प्रसार के लिये समर्पित थे। राष्ट्रीय विज्ञान संचार  देश में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी की सामयिक तथा पारस्परिक ज्ञान-प्रणाली पर उपलब्ध सभी सूचना स्रोतों का मुख्य संरक्षक बनना तथा सर्वाधिक प्रयुक्त प्रौद्योगिकियों प्रयोग करके सभी स्तर के विविध संघटकों में  को प्रोत्साहन करना/बढ़ावा देना।निस्केयर सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा ई-जर्नलों पर सुलभता प्राप्त करने के लिए कर्न्सोशियम का विकास करने के लिए नोडल संगठन का कार्य करता है। इस गतिविधि में प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रकाशित वैज्ञानिक अनुसंधान पत्रिकाओं के सृजन से लेकर सुलभता सुविधा पर मॉनीटरिंग सम्मिलित है। इस योजना के अन्तर्गत सीएसआईआर के वैज

आभामंडल कैसे पहचाने

? आभामंडल कैसे पहचाने :- 02  FACTS;-  1-आभामंडल को सामान्यतौर पर पहचाना नही जा सकता । इसे देखने के लिए आपके अंदर एक खास तरह की क्षमता होनी चाहिए या फिर आपने उस क्षमता निर्माण किया हो वरना हम ऊर्जा के इस खेल को आसानी से नही समझ सकते, परंतु आज जब विज्ञान भी इसे स्वीकार करता है और उनके द्वारा औरा डिटेक्टर  मशीन विकसित की गई है जिससे हम अपने औरा की फोटोग्राफी करा सकते हैं।जब हम अपने औरा की फोटोग्राफी देखते हैं तो शरीर से लिपटा हुआ एक ऊर्जा का वलय देखते हैं। इन अलग अलग रंगों का अपना महत्व तथा अर्थ भी अलग अलग होता है। जैसा रंग औरा का होता है वह उस प्रवृति का इंसान होता है। या फिर जैसी जिसकी प्रवृत्ति होती है वैसा ही उसके आभामंडल का रंग नियत होता है।जैसे :-लाल रंग का आभामंडल हो तो गुस्सैल, चिड़चिड़े स्वभाव का इंसान।काले रंग का आभामंडल तो चोर, गुनाहगार स्वभाव का व्यक्ति।इन रंगों से उस इंसान या हर चीज की प्रवृत्ति या प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है। 2-आभामंडल को देखने की क्षमता पाना भी लगभग आसान है। बस आपके अंदर उसे पाने का जुनून होना चाहिए। जब तक आप उस क्षमता को नही

AIIMS Hospital New Delhi | AIIMS Delhi Vlog | AIIMS New OPD Building RAK OPD | ICMR Kaha hai

The All India Institutes of Medical Sciences (AIIMS) are a group of autonomous government public medical colleges of higher education. These institutes have been declared by an Act of Parliament as Institutes of National Importance. AIIMS New Delhi, the fore-runner institute, was established in 1956. Since then, 22 more institutes were announced. As of January 2020, fifteen institutes are operating and eight more are expected to become operational until 2025. Proposals were made for six more AIIMS. namaskaar dosto, is video me aapko AIIMS ka full view dekhne ko mila hai jo ki aaj tk aapko kisi video me dekhne ko nhi mia hoga,,,to bina der kiye video ko poora dekhe AIIMS Newdelhi New RAK OPD complex It's @aiims_newdelhi New OPD complex. Developing World class infrastructure. Hopefully things will be better soon for patients. We need to adopt more Patients friendly measures in Govt hospitals. Hats off to leadership @narendramodi @MoHFW_INDIA @drharshvardhan @richaanirudh #Na

Quantum computers

Quantum computers aren’t the next generation of supercomputers—they’re something else entirely. Before we can even begin to talk about their potential applications, we need to understand the fundamental physics that drives the theory of quantum computing. (Featuring Scott Aaronson, John Preskill, and Dorit Aharonov.) For more, read "Why Quantum Computers Are So Hard to Explain": https://www.quantamagazine.org/why-is.. sabhar.