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आभामंडल कैसे पहचाने

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आभामंडल कैसे पहचाने :-
02  FACTS;-
 1-आभामंडल को सामान्यतौर पर पहचाना नही जा सकता । इसे देखने के लिए आपके अंदर एक खास तरह की क्षमता होनी चाहिए या फिर आपने उस क्षमता निर्माण किया हो वरना हम ऊर्जा के इस खेल को आसानी से नही समझ सकते, परंतु आज जब विज्ञान भी इसे स्वीकार करता है और उनके द्वारा औरा डिटेक्टर  मशीन विकसित की गई है जिससे हम अपने औरा की फोटोग्राफी करा सकते हैं।जब हम अपने औरा की फोटोग्राफी देखते हैं तो शरीर से लिपटा हुआ एक ऊर्जा का वलय देखते हैं।
इन अलग अलग रंगों का अपना महत्व तथा अर्थ भी अलग अलग होता है। जैसा रंग औरा का होता है वह उस प्रवृति का इंसान होता है। या फिर जैसी जिसकी प्रवृत्ति होती है वैसा ही उसके आभामंडल का रंग नियत होता है।जैसे :-लाल रंग का आभामंडल हो तो गुस्सैल, चिड़चिड़े स्वभाव का इंसान।काले रंग का आभामंडल तो चोर, गुनाहगार स्वभाव का व्यक्ति।इन रंगों से उस इंसान या हर चीज की प्रवृत्ति या प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है।
2-आभामंडल को देखने की क्षमता पाना भी लगभग आसान है। बस आपके अंदर उसे पाने का जुनून होना चाहिए। जब तक आप उस क्षमता को नही पा लेते तब तक इसको पहचान पाना कठिन कार्य होता है।यह औरा विभिन्न रंगों की किरणों के साथ मनुष्य के आसपास चक्रिय आकार में घूमता है। आभामण्डल आपके आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है, लेकिन इसका जवाब आभामण्डल में मौजूद रंगों द्वारा मिलता है। जिससे आप ना केवल अपने बल्कि किसी और के चरित्र को भी पहचान सकते हैं।आप कैसे खुद के आभामण्डल को जान सकते 6हैं इसके लिए इसका सही ज्ञान होना आवश्यक है। यदि आप अपने आभामण्डल को पहचान पाएंगे तो आप किसी के भी आभामण्डल को विस्तारित करने के योग्य होंगे। हमारे औरा में मौजूद रंग ही उस आभामण्डल को परिभाषित करते हैं,लेकिन वहीं दूसरी ओर यदि किसी का आभामण्डल केवल एक या दो रंगों को ही दर्शाता है तो इसका तात्पर्य है कि उसका जीवन केवल कुछ ही विषयों के आसपास घूम रहा है। रंग हमारे आभामण्डल को परिभाषित करते हैं।उदाहरण के लिए... 
 1-लाल रंग;-
यदि आपको आभामण्डल का रंग लाल या गहरा प्रतीत हो है तो इसका मतलब है कि वह इंसान बहुत जल्दी क्रोधित हो जाता है। ऐसे इंसान जब गुस्से में होते हैं तो वे नहीं जानते कि वे क्या बोल रहे हैं। इनके गुस्से की कोई सीमा नहीं होती और जब वे क्रोधित होते हैं तो कुछ भी सोचते-विचारते नहीं हैं।
2-पीला रंग
  जिस व्यक्ति के आभामण्डल में पीले रंग का आभास हो उनका मस्तिष्क काफी सचेत रहता है, लेकिन यदि यही पीला रंग गहरा हो जाए तो यह अच्छा संकेत नहीं है।
3-हरा रंग
  आभामण्डल में यदि हरा रंग दिखाई दे तो ऐसा इंसान काफी शांत स्वभाव का होता है। एक बाग में दिखने वाली हरियाली की तरह ही ऐसे इंसान के चेहरे पर आप संतुष्टि देख सकते हैं।
4-काला आभामण्डल;-
काले आभामण्डल यानी कि परेशानियां इनके जीवन का एक विशेष भाग बनकर बैठी हैं। माना जाता है कि काले आभामण्डल वाले लोग ही नशीले पदार्थों का सबसे ज्यादा सेवन करते हैं। 
 5-नीला रंग
  यदि किसी इंसान के आभामण्डल में नीले रंग की छाया नज़र आए तो यह सबसे अच्छा रंग माना जाता है।ऐसे व्यक्ति बेहद उत्साहित एवं कुशल स्वभाव के होते हैं। लेकिन बाकी रंगों की तरह ही यदि इस रंग पर भी काला या मटमैला रंग आ जाए, तो यह व्यक्ति को चिंता में डाल देता है। उसका उत्साह अति उत्साह बनकर उसी के जीवन को ग्रस्त करने में लग जाता है। लेकिन   यदि आपका आभामण्डल आपको बुरा प्रतीत होता है तो आप स्वयं उसका हल भी निकाल सकते हैं।
शरीर के सात मूल चक्रो चक्र के आधार पर औरा  कैसे पहचाने :-
 मूल रूप से चक्र केवल सात हैं – मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार। पहला चक्र है मूलाधार, जो गुदा और जननेंद्रिय के बीच होता है, स्वाधिष्ठान चक्र जननेंद्रिय के ठीक ऊपर होता है। मणिपूरक चक्र नाभि के नीचे होता है। अनाहत चक्र हृदय के स्थन में पसलियों के मिलने वाली जगह के ठीक नीचे होता है। विशुद्धि चक्र कंठ के गड्ढे में होता है। आज्ञा चक्र  दोनों भवों के बीच होता है। जबकि सहस्रार चक्र, जिसे ब्रम्हरंद्र्र भी कहते हैं, सिर के सबसे ऊपरी जगह पर होता है, जहां नवजात बच्चे के सिर में ऊपर सबसे कोमल जगह होती है।हम चक्रों को ऊपर वाले और नीचे वाले चक्र कह सकते हैं, लेकिन ऐसी भाषा के प्रयोग से अक्सर गलतफहमी पैदा हो जाती है। यह एक इमारत की नींव और छत की तुलना करने जैसा है। छत कभी नींव से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। किसी भी इमारत की नींव उसका मुख्य आधार होती है, छत नहीं। इमारत की मजबूती और वह कितना टिकाऊ होगी, यह सब उसकी नींव पर निर्भर करता है न कि छत पर। लेकिन जब हम बात करते हैं तो कहते हैं कि छत ऊपर और नींव नीचे है।
1-मूलाधार चक्र ;-  
  इस चक्र का रंग लाल  है।  अगर आप की ऊर्जा मूलाधार में प्रबल है, तो आपके जीवन में भोजन और निद्रा का सबसे प्रमुख स्थान होगा। वैसे, चक्रों के एक से ज्यादा आयाम होते है। चक्रों का एक आयाम तो उनका भौतिक अस्तित्व है, लेकिन उनके आध्यात्मिक आयाम भी होते हैं। इसका मतलब है कि उनको पूरी तरह से रूपांतरित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मूलाधार चक्र, जो भोजन और नींद के लिए तरसता है, अगर आपने सही तरीके से जागरूकता पैदा कर ली है, तो वही इन चीजों से आप को पूरी तरह से मुक्त भी कर सकता है।
2-स्वाधिष्ठान चक्र ;-
  इस चक्र का रंग ऑरेंज है। अगर आपकी ऊर्जा स्वाधिष्ठान में सक्रिय है, तो आपके जीवन में आमोद प्रमोद की प्रधानता होगी। आप भौतिक सुखों का भरपूर मजा लेने की फिराक में रहेंगे। आप जीवन में हर चीज का लुत्फ उठाएंगे।
3-मणिपूरक चक्र ;-
   इस चक्र का रंग पीला है। अगर आपकी ऊर्जा मणिपूरक में सक्रिय है, तो आप कर्मयोगी होंगे।आप दुनिया में हर तरह का काम करने को तैयार रहेंगे।
4-अनाहत चक्र ;-
  इस चक्र का रंग हरा  है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है, तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे।
5-विशुद्धि चक्र ;-
  इस चक्र का रंग नीला /sky blue है।इसी तरह से आपकी ऊर्जा अगर विशुद्धि में सक्रिय है, तो आप अति शक्तिशाली होंगे।
6-आज्ञा चक्र ;-
 इस चक्र का रंग बैंगनी  है। अगर आपकी ऊर्जा आज्ञा में सक्रिय है, या आप आज्ञा तक पहुंच गये हैं, तो इसका मतलब है कि बौद्धिक स्तर पर आपने सिद्धि पा ली है। बौद्धिक सिद्धि आपको शांति देती है। आपके अनुभव में यह भले ही वास्तविक न हो, लेकिन जो बौद्धिक सिद्धि आपको हासिल हुई है, वह आपमें एक स्थिरता और शांति लाती है। आपके आस पास चाहे कुछ भी हो रहा हो, या कैसी भी परिस्थितियां हों, उस से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
 7-बिंदु चक्र ;-
इस चक्र का रंग  वॉयलेट/ लाली लिए हुए नीला रंग है।एक बार इंसान की ऊर्जा सहस्रार तक पहुँच  जाती है, तो वह पागलों की तरह परम आनंद में झूमता है। अगर आप बिना किसी कारण ही आनंद में झूमते हैं, तो इसका मतलब है कि आपकी ऊर्जा ने उस चरम शिखर को छू लिया है।
सहस्रार/ऊपर की ओर गिरना;-
इस चक्र का रंग गोल्डन - सिल्वर रंग है।आपकी ऊर्जा को मूलाधार से आज्ञा चक्र तक ले जाने के लिए कई तरह की आध्यात्मिक प्रक्रियाएं और साधनाएं हैं, लेकिन आज्ञा से सहस्रार तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। कोई भी एक खास तरीका नहीं है। आपको या तो छलांग लगानी पड़ती है या फिर आपको उस गड्ढे में गिरना पड़ता है, जो अथाह है, जिसका कोई तल नहीं होता। इसे ही ‘ऊपर की ओर गिरना‘ कहते हैं। योग में कहा जाता है कि जब तक आपमें ऊपर की ओर गिरने’ की ललक नहीं है, तब तक आप वहां पहुँच  नहीं सकते। वास्तव में , किसी भी आध्यात्मिक यात्रा को हम मूलाधार से सहस्रार की यात्रा कह सकते हैं। यह एक आयाम से दूसरे आयाम में विकास की यात्रा है, इसमें तीव्रता के सात अलग-अलग स्तर होते हैं। 
 AURA  COLOUR  &  MEANING;- 
The human aura is believed to be made of 15 different layers of colors of energy that are all interconnected. Most teachings of the human aura are often focused on the first 7 layers of the human aura.
Here ,we go a little further by exploring the first 12 layers of the aura and their colors and meanings. The first layer of the human aura is the layer closest to the body.
Layer 1--represents the etheric body and the color red.
Layer 2-- is linked to the emotional and elemental body. It is orange in color.
Layer 3-- is connected to the mental body and is yellow in color.
Layer 4-- represents the astral body and emits a green hue.
Layer 5--- is linked to the archetypal body and is blue in color.
Layer 6-- represents the angelic body and has an indigo color .
Layer 7- is connected to the ketheric /etheric body body and emits a violet hue.
Layer 8-- is linked to the monadic/ one body and has a gold color.
Layer 9-- represents the keriatric body and is silver in color.
Layer 10-- is connected to the christiac body. It represents the color blue-black.
Layer 11-- is linked to the buddhaic body and is silver-black in color.
Layer 12- represents the nirvanic body and emits a white color.
NOTE;-
Many energy healers believe that when the colors of the human aura are polluted and out of balance, they can cause negative effects on the body, leading to health problems. Here is a list of aura colors and their meaning.
 MEANINGS OF THE COLOUR;-
21 POINTS;-
1-Deep red:-- Grounded, strong will power, survival oriented.Passions run high with those who have a red aura, as they live by their desires and emotions.
2-Dark red:-- Anger
3-Clear red:-- Energetic, competitive, sexual, passionate
4-Orange:--- Vitality, vigor, creative, stamina, courageou.Creativity is key for those who have an orange aura. Their artistry brings peace to them.
5-Orange- yellow: Scientific, detail oriented, perfectionist.Creativity is key for those who have an orange aura. Their artistry brings peace to them.
6-Yellow:-- Creative, playful, identity, awareness, power, knowledge, curiosity.Those with yellow auras are high energy and exude optimism.
7-Yellow-green:--- Passionate, communicative.
8-Green:-- Nature, growth, balance, love.Green auras mark a grounded, hard-working person who is a nature lover.
9-Dark green:-- Jealousy, low self-esteem, resentment.
10-Blue:---- Cool, calm, sensitive, expression.Those with blue auras are emotionally sensitive and are self-expressive.
11-Dark blue:-- Fear of self-expression
12-Indigo:--- Intuitive, visionary, clear minded.An indigo aura denotes a wise person with an old soul.
13-Violet:---- Visionary, divine wisdom, enlightenment.Spiritual awareness and psychic sentiments are marks of a violet aura.
14-Silver:--- Abundance, nurturing/to take care of.
15-Bright pink:--- Sensitive, artistic, affection, compassion, purity
16-Dark pink:-- Immature, dishonest
17-Gold:--- Enlightenment, wisdom, intuitive thinker
18-White:--- Purity, unity, transcendent.This shows a well-balanced personality, one that is calm and open to possibilities. White is the rarest of all aura colors.
19-Black;--A black aura can show a dark energy which is often pessimistic and unkind.
20-Brown ;--A brown aura often denotes a selfish person.
21-Gray;--Gray auras can show skepticism/doubt that something is true or useful:  and uncertainty about others. They often see the glass half empty.
 AURA  COLOUR  &   ITS DECODATION;-- 
Auras can reveal information about your thoughts, feelings and dreams. The colors vary and can be light or dark shades. When reading an aura, you must take into account the shade of color in order to be precise. All living things radiate an aura from the energy they emit. These special vibrations and colors can be seen by gifted people and those trained in the healing arts, who can manipulate energy fields for effective healings.
1-RAINBOW  AURAS;--
You can have more than one color present in your enteric field, too. This is called a rainbow aura.These auras are found in healers, especially those trained to work with the body's energy fields. Rainbow auras are typically seen as shards (piece ) of colorful light, resembling a sunburst. Highly evolved spiritually, a person with a rainbow aura is believed to be attuned to the spiritual frequency of the fifth dimension (also called heaven).You can have more than one color present in your enteric/broadly  field, too.
1-1-Rainbow children are believed to be incarnate for the first time on Earth. They are also said to exhibit rainbow auras. By the very nature of the high energy frequency required to generate a rainbow aura, the colors are reportedly always bright and shiny. 
1-2-Brilliant colored stripes:--- 
A healer's rainbow aura is often seen as colorful stripes radiating around the hands and head. Often the entire body of a healer or creative individual radiates a rainbow of colors that surrounds the person.
1-3-Pale rainbow colors:-
 It's possible that an emerging healer or someone on the verge of true enlightenment might have a pale rainbow aura.
HOW TO READ YOUR AURA?-
 1-Anyone can read an aura. It’s all about trusting your intuition. Look in the mirror for a minute in front of a white background. Concentrate on a focal point in the middle of your forehead. Without moving your eyes, scan the outer perimeter of your head and shoulders. The color you see surrounding your head and shoulders is your aura.
2-Another way to find your aura is to stare at your hands for approximately one minute. The glow you see radiating from the outside lining of your hands is your aura. Please note that it may take a few tries to actually see your aura. Practice makes perfect! Once you have found and noted your aura, we can get started.
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