🌺 *श्री परमहंस अद्वैत स्वरुप मत * 🌺
🧘 शरीर में मौजूद सप्त चक्र 🧘
1. #मूलाधारचक्र :
💥*यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है। जिनके जीवन में भोग,
संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।*
2. #स्वाधिष्ठानचक्र-
💥*यह वह चक्र है, जो स्त्री पुरषों के जननं मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। जिन की ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है , उनके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की परधानता होती है।*
3. #मणिपुरचक्र :
💥*नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है। इसके सक्रिय होने से व्यक्ति पर काम करने की धुन सवार रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं*।
4. #अनाहतचक्र-
💥*हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से सुशोभित यह चोथा चक्र है। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के अंदर ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है।*
5. #विशुद्धचक्र-
💥*कंठ में विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।*
6. #आज्ञाचक्र :
💥*दोनों आंखों के बीच भृकुटी में आज्ञा चक्र है । यहां पर तीनों नाड़ियां इड़ा, पिंगला और सुषमना मिलती हैं। इस चक्र के जागृत होने पर तारे के समान ज्योति प्रकाश दिखाई देने लगता है ।यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं।
7. #सहस्रारचक्र :
💥*सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं।*
👍प्रभाव: यदि व्यक्ति पूर्ण सदगुरु की कृपा से नाम सिमरन और ध्यान योग साधना करके यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है। यही मोक्ष का द्वार है।🧘 sabhar Facebook wall satya karm atma bodh
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