साधना का मतलब होता है की आप किसी चीज पर नियंत्रण प्राप्त करो। साधना मतलब स्वयं को तैयार करना। साधना मतलब साधकर रखना। साधना मतलब ऐसी ऊर्जा पैदा करना जो आपके सारे मार्ग खोल दे। अब इस बात को विस्तृत रूप से समझते है।
साधना एक प्रक्रिया है। एक प्रकार से ये समझ सकते है कि आप किसी कार्य को करना चाहते है भगर उस कार्य के विषय मे पूर्ण रूप से जानकारी नही है तो कार्य नही होगा। उसी प्रकार से आध्यत्म और ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया भी साधना है। साधना से आप अपने अंदर वो ऊर्जा पैदा कर सकते हो जिससे आप किसी भी चीज पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हो। प्रकृति के पांच तत्व पर या फिर किसी व्यक्ति पर या फिर किसी कार्य पर या अदृश्य शक्तियो पर या फिर आप अपने शरीर पर भी नियंत्रण प्राप्त कर सकते है।
साधना का मतलब है आप अपने आपको असीम ऊर्जा के लिए तैयार करो। असीम ऊर्जा ऐसै ही नही मिलती। उज़के लिए स्वयं के अंदर पात्रता होनी चाहिए। वही पात्रता पैदा करने का कार्य साधना करती है। साधना का मतलब अपने आप को तपाना। स्वयं को उस काबिल बनाना की वो परमसत्ता से हमारा जुड़ाव हो जाए। नीति नियमो का पालन करके स्वयं को तैयार करना ही साधना है।
साधना का मतलब है साधकर रखना। अब इस बात को हम इस प्रकार बोल सकते है कि स्वयं को उस काबिल बनाये की आप अपने मन को साधकर रख सके। अपने विचारों को साधकर रख सके। अपने शरीर को साधकर रख सके। मतलब की अपने मन शरीर और विचारों को जो दिशा आप देना चाहे दे सकते है।
साधना का मतलब है कि ऊर्जा को पैदा करना। अब ये कैसे संभव है कि ऊर्जा पैदा हो जाये। तो जब व्यक्ति नीति नॉयमो का पालन करता है जब वो मंत्र का उच्चारण करता है। जब वो किसी स्तोत्र का पाठ करता है। जब व्यक्ति स्वयं की आत्म ऊर्जा को जगृत करता है जब वो ध्यान करता है तब ये सभी घर्षण से उज़के अंदर एक अमूल्य ऊर्जा पैदा होती है और उसी ऊर्जा को कार्यान्वित करके वो अपने जीवन के सारे कार्य कर सकता है और दूसरे लोगो के भी कार्य कर सकता है।
साधना एक दिन की या एक महीने की प्रक्रिया नही है। वो तो आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। जैसे जैसे व्यक्ति ये जप तप ध्यान की प्रक्रिया बढ़ाता है वैसी ही उसकी ऊर्जा भी बढ़ती जाती है और वही ऊर्जा उसके समग्र जीवन को बदलती है।
इस ऊर्जा का उपयोग सद्धक इष्ट देवता की कृपा के लिए कर सकता है। मोक्ष के लिए भी कर सकता है। ज्ञान के लिए भी कर सकता है। सभी प्रकार के देवीदेवता की कृपा प्राप्त करने के लिए या उन्हें साधने के लिए कर सकता है। सभी इत्तरयोनि को आपने आधीन करने के लिए कर सकता है या वो जिस कार्य मे चाहे उसमे उपयोग कर सकता है।
साधना एक समग्र प्रक्रिया है। ये हमारे समग्र जीवन को बदलने की क्षमता रखता है। किसी नॉयम का पालन करना साधना है। तप या व्रत करना भी साधना है। किसी मंत्र का जप करना भी साधना है। योग या प्राणायाम या ध्यान के माध्यम से स्वयं के अंदर ऊर्जा पैदा करना भी साधना है। मन को विचारों को और शरीर को अपने अनुकूल बनाना और जो चाहे कार्य करवाना भी साधना है। यह एक विस्तृत विषय है।
जितने भी मंत्र है या यँत्र है या क्रियाए है वो सभी तब तक सिद्ध नही होते जब आप अपने आपको तैयार नही करते जब तक आप साधन के माध्यम से स्वयं को उस काबिल नही बनाते हो। पहले स्वयं के अंदर ऊर्जा पैदा करना ही साधना का मूल उद्द्देष्य है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
vigyan ke naye samachar ke liye dekhe