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ब्रह्म मुहूर्त किसको कहते है और ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य क्यां है वो सभी मानव बात करते है लिखते है और ज्ञान भी देते है लेकिन उनको ब्रह्म मुहूर्त के नाम से क्युं जाना गया क्यां ईसका रहस्य है यो बात योगी पुरुष के अलावा और किसिको ज्ञान नहीं है.
ये मानव शरीर एक प्रकृति और कुदरत की ऐसी देण है कि ईनकी तुलना और किसीभी चीज के साथ नहीं हो शकती मानव मस्तक अगर तो दुसरे कोई भी योनि के जीव के मस्तक मे बडे मगज के लिये एक त्रिकोणाकार शंकु आकार की ग्रंथी होती है वोही ग्रंथि ये शरीर मे सभी क्रियाए ओटोमेटिक होती है वो वोही ग्रंथि के हिसाब से होती है और तत्वो का संचालन भी ये ही ग्रंथि शरीर मे करती है. ये ग्रंथि का कुदरती नियम ऐसा है की दिन मे सूर्य की गरमी के ताप लगेगा तो वो ग्रंथि मे संकोचन आते है और रात को अंधेरे मे जब ताप नही होता तब वो ग्रंथि फूलती है जब ये ग्रंथि फूलती है तब वो ग्रंथि मे से एक प्रकार का प्रवाही स्त्राव होता है वो स्त्राव ऐसा होता है कि विचार वायुं को स्थिर कर देते हैं, ईसि के हिसाब से मानव का ध्यान गाढ लग जाता है जब गाढ ध्यान लगता है तब मानव बहुत सहेवाई से ब्रह्म का दर्शन करने मे सफणता हांसल करते है और वो ग्रंथि का फूलने का समस रात को चोथे पहोर मे 3 से 6 बजे तक का होता है, रात को 3 बजे वो ग्रंथि उनकी पराकाष्ठा पर फूल जाती है और 6 बजे तक वो धीरे धीरे मूळ स्थिति पर आ जायेगी तब ये 3 -6 बजे के टाईम पर ध्यान अच्छा गाढ लग जानेका कारण ये ग्रंथि का स्त्राव ही है ईसिलिए सिध्धो ने सुबह का 3 से 6 बजे के टाईम को ब्रह्म के साथ कोन्टेक्ट करने मे ये समय सबसे अच्छा है वो ही कारण से ये समय को ब्रह्म मुहूर्त से जाना जाता है और दुसरा यै ग्रंथि का बहुत गहरा रहस्य ये है कि मानव खोराक लेते समय मुंह मे जा लाळ खोराक मे मिक्ष होती है वो स्त्राव पिनियल ग्रंथि मे से ही होता है और तीसरा गहरा रहस्य ये है कि
मानव योगक्रिया के माध्यम से जब ध्यान की क्रिया ए करते है तब समाधि के पास जब पहोचते है तब वो ग्रंथि मे से एक बुंद प्रवाही स्त्राव होता है वो 24 कलाक मे एक ही बार होगा वो बुंद पेट मे जाने से शरीर बिलकुल हलका सा फूल जैसा बन जाता है और उनको 24 कलाक तक खाने-पीने की जरुरियात रहती नही और वो ग्रंथि का चोथा रहस्य ये है कि दशमां द्वार वहां से ही खुलता है वो ही ब्रह्म के साथ कोन्टेक्ट करने का मेईन गेट है और पांचवा रहस्य ये है कि कोई भी जीव को अंधेरे मे पुर देवे तो भी उनको दिन है कि रात वो उनको मालुम हो जाता है उसका कारण ये ग्रंथि है ये शरीर का ओटोमेटिक संचालन करने मे ग्रंथि का महत्व का योगदान है. छठ्ठा रहस्य आंख के नजर की देखने की शक्ति का प्रवाह भी वो ग्रंथि मे से ही छूटता है ये सभी बातो को विज्ञान ने भी कईक अलग अलग प्रयोगो कर कर विज्ञान ने भी ये बात को मान्यता दिया है. विज्ञान उस ग्रंथि को प्रिनियल ग्रंथि के नाम से जानते है. अगर कोई सर्जन डॉक्टर ये ग्रंथि का ओपरेशन कर कर ललाट के नजदिक ला देवे तो मानव को भक्ति करने की जरुरत ही नही रहेगी मानव आपोआप त्रिकाळ ज्ञानी बन जायेगा ऐसा ओपरेशन प्राचीन समय मे तिबेट मे एक बौद्ध धर्मी लामा संत करते थे ये बात का सबुत शास्त्रो मे साबित है बाद मे ऐसा पुरुष हुवा नही ये ही ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य है पहले के समय मे मानव मस्तक के उपर टोपी अगर तो पाघडी बांधते थे ईसिका कारण ये ही था की मस्तक बहुत गरम नही होना चाहिए ये अगर मस्तक गरम होगा तो ग्रंथि मे ज्यादा संकोच आ जानेसे शरीर बिगड जाता है.........
----गगनगीरीजी महाराज
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? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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