शिव-पार्वती का प्रेमा-ख्यान अद्भुत है।पार्वती जैसा प्रेम और शंकर जैसा पति, ये दोनों ही अलभ्य हैं।शिव विश्व के चेतना है तो पार्वती विश्व की ऊर्जा हैं।शंकर जी का गोत्र त्रिलोक है।पार्वती जी साधना के माध्यम से शिव जी के ह्रदय में करूणा और समभाव जगाती हैं।उनका तप औरों से भिन्न होते हुए किसी भी इच्छा, वरदान वयक्तिगत सुख के लिए नहीं अपितु संसार के कल्याण के लिए है।शिव स्रोत हैं शक्ति के, पर स्वयं कभी गति नहीं करते – शिव की गति को ही ‘शक्ति’ कहते हैं। जब तक शिव हैं और शक्ति हैं, मामला बिल्कुल ठीक है, क्योंकि शक्ति का पूर्ण समर्पण, शक्ति की पूर्ण भक्ति शिव मात्र के प्रति है। वहां कोई तीसरा मौजूद नहीं।शिव-शक्ति के बीच में किसी तीसरे की गुंजाइश नहीं, तो वहां पर जो कुछ है बहुत सुंदर है। शिव केंद्र में बैठे हैं, ध्यान में, अचल, और उनके चारों तरफ गति है, सुंदर नृत्य है शक्ति का। वहां किसी प्रकार का कोई भेद नहीं, कोई द्वंद नहीं, कोई टकराव नहीं, कोई विकल्प नहीं, कोई संग्राम नहीं।🙏 sabhar Facebook wall mahaavatar baba ji italy
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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