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मूत्र से 'सूँघा जा सकेगा' मूत्राशय का कैंसर?


कैंसर
कैंसर की कोशिकाएं मौजूद हों तो मूत्र में से एक खास तरह की गंध आती है.
अगर क्लिक करेंमूत्राशय में कैंसर पनप चुका है तो इसमें गैस के रूप में रसायन की मौजूदगी पाई जाती है. यह उपकरण एक सेंसर की मदद से इस रसायन का पता लगा लेता है.

मगर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पहले कि यह व्यापक पैमाने पर उपलब्ध हो, जाँच से शत-प्रतिशत परिणाम पाने के लिए अभी और अध्ययन करने की जरूरत है.इसको बनाने वालों ने 'प्लॉस' नामक एक पत्रिका को बताया है कि शुरुआती परीक्षणों में हुई 10 बार की जांच में से 9 बार जांच से सटीक परिणाम मिले.
क्लिक करेंब्रिटेन में हर साल करीब 10,000 लोगों के मूत्राशय के कैंसर का इलाज किया जाता है.

मूत्र की गंध

डॉक्टर लंबे समय से ऐसे तरीकों की तलाश कर रहे हैं जिनसे इस क्लिक करेंकैंसर का पता पहले चरण में ही लगाया जा सके. उस समय उसका इलाज आसान होता है.
"इससे पहले कि इस उपकरण का इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाने लगे इसकी अभी और जांच करने की जरूरत है. इसके लिए हमें मरीजों से बड़े पैमाने पर नमूने इकट्ठे करने होंगे"
प्रोफेसर प्रोबर्ट
इनमें से कई डॉक्टर मूत्र की गंध की मदद से मूत्राशय कैंसर के खतरों का पता लगाने में लगे हैं.
कैंसर का पता लगाने के लिए पिछले कुछ सालों में जो अनुसंधान किए गए हैं वे बताते है कि यदि कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाए तो वह कैंसर को सूंघ लेते हैं.
लिवरपूल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस प्रोबर्ट और पश्चिमी इंग्लैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नार्मन रैटक्लिफ का कहना है कि उनके नए उपकरण कैंसर का पता लगा सकते हैं.

मौजूद रसायन

कैंसर
यह उपकरण मूत्र में मौजूद उन रसायनों को सूंघ लेता है जो नमूने को गर्म करने पर पैदा होते हैं.
प्रोफेसर रैटक्लिफ़ ने कहा, “यह उपकरण मूत्र में मौजूद उन रसायनों को सूंघ लेता है जो नमूने को गर्म करने पर पैदा होते हैं."
उन्होंने अपने इस उपकरण को जांचने के लिए मूत्र के 98 नमूनों का इस्तेमाल किया. ये नमूने उन 24 पुरुषों के थे जो मूत्राशय के कैंसर से पीड़ित थे. और इसमें वैसे 74 पुरुषों के मूत्र के नमूने भी शामिल थे जो मूत्राशय से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त थे.
प्रोफेसर प्रोबर्ट का कहना है कि जांच के परिणाम बेहद उत्साहजनक थे. मगर उन्होंने बताया, “इससे पहले कि इस उपकरण का इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाने लगे इसकी अभी और जांच करने की जरूरत है. इसके लिए हमें मरीजों से बड़े पैमाने पर नमूने इकट्ठे करने होंगे.”

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