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यह आंख तो नहीं, पर दिखा सकती है

नेत्रहीन तो इसे वरदान की तरह 'देख' रहे हैं. अमेरिका में बनी यह बायोनिक आंख उन लोगों की रोशनी कुछ हद तक लौटा सकती है जो रेटिनिटिस पिगमेनटोसा की वजह से आंखें खो बैठे हैं. अब दूसरी पीढ़ी की बायोनिक आंख बाजार में आ रही है.
रेटिनिटिस पिगमेनटोसा एक तरह की बीमारी है जो इंसान को अंधा बना देती है. कुछ वक्त पहले तक तो यह अंधापन लाइलाज ही था. लेकिन बायोनिक आंख यानी आर्गस प्रतिरोपण ने कुछ हद तक इसे ठीक कर पाने में सफलता दिलाई.
यूरोप के बाजारों में बायोनिक आंख जल्दी ही बिकने लगेगी. और जर्मनी के लोगों के लिए तो अच्छी खबर यह है कि देश के हेल्थ केयर सिस्टम ने इसे इन्श्योरेंस में कवर करने का फैसला कर लिया है. संभावना है कि ब्रिटेन और फ्रांस भी ऐसा ही करेंगे.
बायोनिक आंख की कीमत एक लाख अमेरिकी डॉलर यानी 45 लाख रुपये से ज्यादा है. सवाल यह है कि इन्श्योरेंस कंपनियों को इसे कवर करने के लिए राजी किया जा सकता है या नहीं. उसी बात पर इसकी सफलता निर्भर करेगी.
बायोनिक विजन सिस्टम एक कैमरा है जो चश्मे से जुड़ा है. यह हाई फ्रीक्वेंसी वाले रेडियो सिगनल रेटिना में लगी चिप को भेजता है. इन चिप के इलेक्ट्रोड के संकेत बदलते हुए ऑप्टिकल नर्व के जरिए दिमाग में पहुंचते हैं जहां दिमाग इन सिगनल्स को इमेज के तौर पर पहचानता है.
पहला इलाज
अमेरिका के लॉस एंजेलिस के रहने वाले टेरी बाइलैंड उम्र के चौथे दशक में अपनी आंखें खो बैठे. वह बताते हैं, "पहली बार जब मैंने एक छड़ी से अपने दरवाजे को छुआ, तो मैंने उसे बीच में ही दे मारा. मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं कहां जाऊं."
बाइलैंड लाइवली रिवरसाइड ब्रेल क्लब के सदस्य हैं जहां बहुत से लोग बिना रोशनी की जिंदगी से समझौता कर चुके हैं. लेकिन टेरी इस समझौते के साथ जिंदगी नहीं गुजारना चाहते थे.
इसी वजह से उन्होंने बायोनिक आंख में दिलचस्पी दिखाई. इस तरह का इलाज कराने वाले वह पहले दो मरीजों में थे. तब इसकी क्लीनिकल ट्रायल ही चल रही थीं. और उन्हें फायदा हुआ. उन्होंने जब इसे ओके कर दिया तो इसे दूसरे लोगों के लिए पेश किया गया.
अब टेरी आर्गस प्रतिरोपण का नया वर्जन भी लगवाना चाहते हैं. वह कहते हैं, "मैं नया वर्जन लगवाने के लिए कुछ भी दे सकता हूं. लेकिन एफडीए इसकी इजाजत ही नहीं देगा."
अमेरिका के दवा और खाद्य प्रशासन ने अभी बायोनिक आंख के नए संस्करण को इजाजत नहीं दी है. हालांकि यूरोप में इसे इजाजत मिल चुकी है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम sabhar : dw.de

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