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अदृश्य` पदार्थ चलाएगा आपका कंप्यूटर

 न्यूयार्क : कंप्यूटर की तकनीक वाले इस युग में चीजें नित सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होती जा रही हैं, तथा वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाला समय तथाकथित अतिसूक्ष्म `मेटामटीरियल्स` का होगा। किसी पदार्थ को अदृश्य करने के लिए प्रकाश तरंगों की प्रकृति को परिवर्तित कर देने वाले ये मेटामटीरियल्स कंप्यूटर के कार्य भी कर सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, मेटामटीरियल्स आने वाली प्रकाश की तरंगों के आकार को इस तरह परिवर्तित कर सकते हैं, जिनका प्रभाव कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले गणना के समान ही होता है। अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रवक्ता नाडेर एंगटा ने बताया, "जैसे ही प्रकाश इस पदार्थ से होकर बाहर आता है, प्रकाश की तरंगों का आकार इस तरह का हो जाता है कि वह गणितीय परिणाम देने वाला हो जाता है।" शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रौद्योगिकी चित्रों के साथ कंप्यूटर पर काम करने जैसी प्रक्रियाओं को गति प्रदान कर सकता है। यह शोधपत्र `साइंस` नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। एंगटा ने बताया कि यह प्रौद्योगिकी जटिल गणनाओं में भी सहायक हो सकता है। भविष्य में मेटमट

अब खुद ही रिपेयर हो जाएंगे डैमेज दांत

  । ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक ईजाद की है, जिससे दांत की सड़न के बाद ड्रिलिंग और फीलिंग जैसे झमेलों से छुटकारा मिल सकता है   अब खुद ही रिपेयर हो जाएंगे डैमेज दांत अब खुद ही रिपेयर हो जाएंगे डैमेज दांत लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक ईजाद की है, जिससे दांत की सड़न के बाद ड्रिलिंग और फीलिंग जैसे झमेलों से छुटकारा मिल सकता है। हर साल दुनियाभर में करीब 2.3 बिलियन लोगों को दांतों की समस्या से जूझना पड़ता है।    ब्रिटिश रिसर्चरों ने एक ऐसी तकनीक का आविष्कार किया है, जिससे सड़े हुए कैविटी वाले दांत अब खुद-बखुद रिपेयर हो जाएंगे। यह शोध लंदन के किंग्स कॉलेज में किया गया, जहां इस नेचरल रिपेयर के लिए इलेक्ट्रिकल करंट का इस्तेमाल किया गया।   इस ट्रीटमेंट की खोज करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो यह अनोखा ट्रीटमेंट तीन वर्षों के भीतर आम लोगों तक पहुंच जाएगा। इस ट्रीटमेंट को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहले स्टेप में दांत के बाहरी लेवल इनामेल पर मौजूद सडऩ को हटाया जाता है। दूसरे स्टेप में डैमेज दांत के भीतरी हिस्से में हल्के से इलेक्ट्रिक करंट की मदद से मिनरल डाल दिया जाता है।

2023 में शीर्ष एसएमबी प्रौद्योगिकी रुझान

 एसएमबी उन आईटी समाधानों में निवेश करेंगे जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं; और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने से बिक्री चैनल बदल जाएंगे।" कोविड-19 ने छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों (एसएमबी) के आईटी-संबंधित दृष्टिकोण और खरीद व्यवहार को प्रभावित किया है। एनालिसिस मेसन एसएमबी पारिस्थितिकी तंत्र को ट्रैक करना जारी रखता है और यहां 2023 में एसएमबी प्रौद्योगिकी रुझानों के लिए हमारी शीर्ष भविष्यवाणियां हैं। विक्रेता और ऑपरेटर अपनी एसएमबी रणनीतियों के पुनर्मूल्यांकन और परिष्कृत करने में मदद के लिए इनका उपयोग कर सकते हैं। प्रारंभिक अपनाने वाले' एसएमबी आईटी खर्च को बढ़ाएंगे जैसे-जैसे एसएमबी अपनी डिजिटल परिवर्तन पहलों में तेजी ला रहे हैं, विशेष रूप से महामारी के बाद के रुझानों से प्रेरित, 'शुरुआती अपनाने वालों' का वर्ग दुनिया भर में 145 मिलियन एसएमबी के लगभग 10% से बढ़कर लगभग 15% होने की उम्मीद है। ये वे एसएमबी हैं जिन्होंने आम तौर पर आधुनिक तकनीकों को अपनाया है और नई सुविधाओं और उत्पाद सेटों का परीक्षण किया है और परिणामस्वरूप, आईटी पर औसत से अधिक खर्च किया है। बढ़ती ऊर्जा लागत एसएमबी

2023 के लिए शीर्ष 18 नई प्रौद्योगिकी रुझान

प्रौद्योगिकी आज तीव्र गति से विकसित हो रही है, तेजी से परिवर्तन और प्रगति को सक्षम कर रही है,  विषयसूची शीर्ष नई प्रौद्योगिकी रुझान1. कंप्यूटिंग शक्ति 2. स्मार्ट डिवाइस 3. डेटाफिकेशन 4. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंगऔर देखें प्रौद्योगिकी आज तीव्र गति से विकसित हो रही है, तेजी से परिवर्तन और प्रगति को सक्षम कर रही है, जिससे परिवर्तन की दर में तेजी आ रही है। हालाँकि, यह केवल प्रौद्योगिकी रुझान और उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ ही नहीं हैं जो विकसित हो रही हैं, इस वर्ष COVID-19 के प्रकोप के कारण बहुत कुछ बदल गया है, जिससे आईटी पेशेवरों को एहसास हुआ कि कल संपर्क रहित दुनिया में उनकी भूमिका समान नहीं रहेगी। और 2023-24 में एक आईटी पेशेवर लगातार सीखता रहेगा, सीखता रहेगा, और पुनः सीखता रहेगा शीर्ष नई प्रौद्योगिकी रुझान (इच्छा से नहीं तो आवश्यकता से)। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और मशीन सीखने की प्रगति के साथ 2023 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता अधिक प्रचलित हो जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमें बेहतर ढंग से समझ सकता है और इस तकनीक का उपयोग करके अधिक जटिल कार्य कर सकता है। ऐसा अनुमान है कि 5G भ

स्विच बदलते हैं चेहरे की बनावट

 वैज्ञानिकों ने अलग-अलग लोगों के चेहरों में अंतर पाए जाने के कारणों को समझने में आरंभिक सफलता प्राप्त कर ली है. चूहों पर हुए अध्ययन में वैज्ञानिकों को डीएनए में मौजूद हज़ारों ऐसे छोटे-छोटे हिस्सों का पता चला है जो चेहरे की बनावट के विकास में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. शोधपत्रिका साइंस में छपे इस शोध से चेहरे में आने वाली जन्मजात विकृतियों का कारण समझने में भी मदद मिल सकती है.इस शोध में यह भी पता चला कि आनुवांशिक सामग्री में परिवर्तन चेहरे की बनावट में बहुत बारीक़ अंतर ला सकते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह प्रयोग जानवरों पर किया गया है, लेकिन पूरी संभावना है कि मनुष्य के चेहरे का विकास भी इसी तरह होता है. कैलीफोर्निया स्थित लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी के ज्वाइंट जीनोम इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर एक्सेल वाइसेल ने बीबीसी से कहा, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि चेहरे की बनावट के निर्माण के निर्देश मनुष्यों के डीएनए में कैसे मौजूद होते हैं. इन डीएनए में ही कहीं न कहीं हमारे चेहरे की बनावट का राज़ छिपा है." स्विच बदलते हैं चेहरे की बनावट

मानव क्लोनिंग की ओर एक और कदम

मानव क्लोनिंग की ओर एक और कदम  अमरीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने मानव क्लोनिंग विधि का इस्तेमाल कर एक शुरुआती भ्रूण तैयार किया है जिसे चिकित्सा क्षेत्र में "एक बड़ी कामयाबी" माना जा रहा है. क्लोन किए गए भ्रूण को स्टेम सेल के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल किया गया जिससे हृदय की नई मांसपेशी, हड्डी, मस्तिष्क के ऊतक और शरीर की अन्य कोशिकाएं तैयार की जा सकती हैं. 'सेल' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में उन्हीं विधियों को प्रयोग में लाया गया जिनसे 1996 में ब्रिटेन में पहली क्लोन भेड़ डॉली तैयार की गई थी. हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टेम सेल्स के लिए अन्य स्रोत भी हो सकते हैं जो अधिक आसान, सस्ते और कम विवादित हों. वहीं आलोचकों ने मानवीय भ्रूणों पर प्रयोग को अनैतिक बताते हुए इस पर प्रतिबंध की मांग की है. स्टेम सेल से उम्मीदें स्टेम सेल पर चिकित्सा जगत की बड़ी उम्मीदें टिकी हैं. दरअसल नए ऊतक बनाने में सक्षम होने पर दिल के दौरे से होने वाली क्षति को ठीक किया जा सकता है या फिर क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी को दुरुस्त किया जा सकता है. ऐसे कुछ प्रयोग पहले से हो रहे हैं जिनमें दान

चैटबॉट के लिए 90 फ़ीसदी स्टाफ़ की छंटनी, फ़ैसले पर सवालों में घिरे भारतीय कंपनी के सीईओ

वोडाफोन 11,000 कर्मचारियों को दिखाएगी बाहर का रास्ता, कंपनी के सीईओ ने बताया प्लान   रोज़गार के संकट वाले माहौल में जब किसी कंपनी के सीईओ फर्म के 90 फ़ीसदी स्टाफ़ को नौकरी से निकाल दें और उसकी जगह पर एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चैटबॉट को काम पर लगा दें तो प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक है. जाहिर है कि इसकी आलोचना होगी और ये हो रही है. भारत की स्टार्टअप दुनिया में इन दिनों 'दुकान' के फाउंडर सुमित शाह इसलिए सुर्खियों में हैं. इतना ही नहीं सुमित शाह ने तो ट्विटर पर ये एलान भी कर दिया कि चैटबॉट से उनके ग्राहकों को मिलने वाले जवाब जल्दी मिलने लगे हैं और इसमें वक़्त भी पहले से कम लग रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ये घटना ऐसे समय में हुई है जब इस बात को लेकर बहस हो रही है कि लोगों की नौकरियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की वजह से खतरे में हैं, ख़ासकर सर्विस इंडस्ट्री में. सुमित शाह ने कई ट्वीट्स किए हैं जिसमें उन्होंने चैटबॉट इस्तेमाल करने के कंपनी के फ़ैसले के बारे में लिखा है. हालांकि उन्होंने छंटनी के फ़ैसले को 'मुश्किल' बताया और कहा कि ये 'ज़रूरी' था. उन्होंने लिखा है, "अ

सीखने और याददाश्त के पीछे के जीन 650 मिलियन वर्ष पुराने हैं

 कैंब्रियन विस्फोट से पहले , जिसे जैविक बिग बैंग भी कहा जाता है, पृथ्वी के महासागरों में केवल आदिम जीवन रूप थे। इस अवधि के दौरान जीवन का बड़े पैमाने पर प्रसार हुआ, जो लगभग 570 से 530 मिलियन वर्ष पहले हुआ था। अधिकांश प्रमुख जानवरों की वंशावली की शुरुआत इसी दौरान हुई और तब से उनका विकास हो रहा है। वैज्ञानिकों ने अब यह निर्धारित किया है कि सीखने, स्मृति और आक्रामकता सहित अन्य जटिल व्यवहारों के लिए जिम्मेदार जीन की उत्पत्ति इससे भी पहले, लगभग 650 मिलियन वर्ष पहले हुई थी। नेचर कम्युनिकेशंस में निष्कर्षों की सूचना दी गई है । तंत्रिका तंत्र में आवश्यक संदेश भेजने के लिए न्यूरोट्रांसमीटर महत्वपूर्ण हैं। इनमें डोपामाइन, सेरोटोनिन और एड्रेनालाईन/नॉरएड्रेनालाईन (जिसे एपिनेफ्रिन/नॉरएपिनेफ्रिन भी कहा जाता है) जैसे मोनोमाइन रसायन शामिल हैं, जो खाने और सोने जैसी बुनियादी प्रक्रियाओं के साथ-साथ सीखने और यादें बनाने में शामिल होते हैं। इस अध्ययन ने सुझाव दिया है कि मोनोअमाइन को उत्पन्न करने, बांधने और प्रतिक्रिया करने के लिए जिन जीनों की आवश्यकता होती है, वे बिलाटेरियन, जीवों में उत्पन्न हुए हैं, जिनमे

उद्देश्य की भावना अकेलेपन, हृदय रोग से बचाती है

 साइकोलॉजी एंड एजिंग जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से  पता चला है कि जीवन में उद्देश्य की भावना होने से अकेलेपन से बचाव होता है। यह, बदले में, जीवन भर हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने में मदद कर सकता है। अध्ययन में 2,300 से अधिक स्विस वयस्कों को शामिल किया गया जिन्होंने एक सर्वेक्षण पूरा किया जिसमें उनके उद्देश्य की भावना, अकेलापन, दूसरों से प्राप्त समर्थन का स्तर और दूसरों को प्रदान किए गए समर्थन के स्तर को मापा गया। सर्वेक्षण के सवालों में साथी की कमी, दूसरों से अलगाव, छोड़े जाने की भावना, यह महसूस करना कि किसी के जीवन में पर्याप्त उद्देश्य नहीं है, और प्रतिभागियों द्वारा अपनी गतिविधियों को महत्व दिया जाना जैसे कारकों को मापा गया। सर्वेक्षण पूरा करने के बाद, चार चरों में से प्रत्येक के बीच संबंध निर्धारित करने के लिए एक मॉडल का उपयोग किया गया था। परिणामों से पता चला कि उद्देश्य की भावना अकेलेपन के साथ नकारात्मक रूप से जुड़ी हुई थी - दूसरे शब्दों में, लोगों के पास जितना अधिक उद्देश्य था, उन्हें उतना ही कम अकेलापन महसूस होता था। उद्देश्य की भावना सकारात्मक रूप से समर्थन देने और

मैदान की जगह कंप्यूटर की स्क्रीन पर लड़ा जाएगा तीसरा विश्व युद्ध

Worldwar computer मैदान की जगह कंप्यूटर की स्क्रीन पर लड़ा जाएगा तीसरा विश्व युद्ध इंटरनेट क्रांति आने के बाद जीवन उन्नत तो हुआ है लेकिन इतना उन्नत नहीं कि जीवन और मृत्यु डिजिटल हो जाएं। लेकिन अगर अमे‌रिका की मानें तो अगला विश्व युद्ध मैदान की बजाय इंटरनेट यानी साइबरस्पेस में लड़ा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो जान की बजाय संसाधनों और धन की क्षति पिछले युद्धों से ज्यादा और भयंकर होगी। अमेरिका के रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने कहा है कि भविष्य में युद्ध का मैदान साइबरस्पेस होगा क्योंकि हमलावरों ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और अब वे अमेरिका के पावर ग्रिडों और सरकारी प्रणाली को नष्ट करने की क्षमता विकसित कर रहे हैं। पैनेटा ने सैन्य प्रतिष्ठानों की अधिकता वाले वर्जीनिया के शहर नोरफोक में एक कार्यक्रम में कहा।।हमारे सामने साइबरस्पेस के रूप में युद्ध की एक नयी चुनौती मुंह बाए खडी है। हम इस पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि भविष्य का युद्ध साइबरस्पेस में ही लडा जाएगा। अमेरिकी बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर हाल के दिनों में संदिग्ध ईरानी हैकरों लगातार हमले किए है

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य

  Sabhar Nisa sanatani facebookwall कैलाश पर्वत एक अनसुलझा रहस्य, कैलाश पर्वत के इन रहस्यों से नासा भी हो चुका है चकित.; कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं। शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर शिव का वास है। किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है। उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। तो आइये आज हम आपको कैलाश पर्वत से जुड़े हुए कुछ रहस्य बताते हैं। #कैलाश_पर्वत_के_रहस्य. रहस्य 1– रूस के वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं। वहीं रूसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक श

चंद्रयान ३ का सफल लांचिंग हो गई

  भारत ने अंतरिछ में एक लम्बी छलांग लगा दी है चंद्रयान ३ का सफल लांचिंग  ISRO Chandrayaan 3 Launch News Update: इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह सामान्य व्यवहार कर रहा है. परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 4 साल बाद एक बार फिर से पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान को लॉन्च किया. फैट बॉय’ एलवीएम-एम4 रॉकेट ने ठीक 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को लेकर उड़ान भरी. इसरो ने कहा कि लॉन्चिंग के कुछ मिनट बाद एमएलवी-एम4 चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में लेकर सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया. इसके बाद चंद्रयान-3 ने लॉन्च रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा तक की अपनी यात्रा शुरू कर दी. चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर उतरने में करीब 50 दिन का समय लगेगा. इसरो के मुताबिक 23 या 24 अगस्त तक यह चांद की सतह पर लैंड कर सकता है. इसरो

कैसे बनेगा हवा से शुद्ध पानी

 वाटरजेन' नामक कंपनी ने हाल ही में हवा से जल बनाने की तकनीक को विकसित किया है। जिसमें अधिक नमी वाली हवा के तापमान को कम किया जाता है और इसके फलस्‍वरूप हवा में मौजूद जल के अणु नीचे गिरने लगते हैं और इन्‍हें एकत्रित कर लिया जाता है। कंपनी के सहायक सीईओ ए कोहावी के अनुसार ''हवा के इस तंत्र में से गुजारने के पर सिस्‍टम हवा में की आर्द्रता को कम करने का काम करता है और एकत्रित जल को एक विशेष टैंक में एकत्रित कर लिया जाता है।'' आगे उन्‍होंने बताया कि ''इस जल को एक बड़े फिल्‍टरेशन तंत्र से गुजारा जाता है, जिसके कारण इसमें होने वाली संभावित सूक्ष्‍मजैव या रसायन संबंधी अशुद्धियां अलग हो जाती हैं। इसके बाद जल को एक विशाल टैंक में रखा जाता है, जहां जल की शुद्धता के सारे पैमानों का ध्‍यान रखा जाता है। '' हालांकि इस तरह के यंत्र अन्‍य कंपनियों द्वारा भी बनाए जा चुके हैं, जिनका उपयोग औद्योगिक और घरेलू कार्यों में किया जाता है। लेकिन 'वाटरजेन' का दावा है कि उनके द्वारा विकसित किए गए इस यंत्र में कम से कम ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा। आगे कोहावी ने बताया कि '

प्रोटीन शेक पीना कितना फ़ायदेमंद, कितना नुक़सानदेह

प्रोटीन शेक पीना कितना फ़ायदेमंद, कितना नुक़सानदेह ब्रिटेन में प्रोटीन शेक पीने के कारण एक भारतीय मूल के किशोर की मौत की वजह को लेकर आई एक ख़बर ने नई बहस छेड़ दी है. सवाल उठ रहे हैं कि प्रोटीन सप्लिमेंट्स पर लगे लेबल पर चेतावनी लिखी होनी चाहिए या नहीं. दरअसल, लंदन में रहने वाले 16 साल के रोहन की तबीयत 15 अगस्त 2020 को अचानक बिगड़ गई थी और उसके तीन दिन बाद उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था. क़रीब पौने तीन साल तक चली गहन पड़ताल के बाद जांचकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि रोहन की मौत उस प्रोटीन शेक के कारण हुई थी, जो उनके पिता ने वज़न बढ़ाने के लिए दिया था. जांचकर्ताओं के मुताबिक़, रोहन को ऑर्निथीन ट्रांसकार्बामिलेज़ (OTC) डेफ़िशिएंसी नाम की एक आनुवांशिक समस्या थी, जिसकी वजह से प्रोटीन शेक लेने के बाद उनके शरीर में अमोनिया जानलेवा स्तर पर पहुंच गया था. जांचकर्ता ने अदालत में कहा कि उनकी राय में प्रोटीन सप्लिमेंट के लेबल पर ये चेतावनी छापनी चाहिए. उनके अनुसार, ''भले ही OTC डेफ़िशिएंसी आम समस्या नहीं है लेकिन जिन्हें यह डिसऑर्डर है उनके लिए अतिरिक्त प्रोटीन लेना ख़तरनाक हो सकता है

सोलर सेल काम कर गए, तो जगह-जगह सौर ऊर्जा इकट्ठा होगी

 सोलर टेक्नोलॉजी लगातार बेहतर हो रही है. ज्यादा समय तक चलने वाले ये लचीले सोलर सेल इंसान के बाल से भी पतले हैं और किसी भी सतह पर लगाए जा सकते हैं. देखिए ये कैसे काम करते हैं और कहां-कहां इस्तेमाल हो सकते हैं.

ये सोलर सेल काम कर गए, तो जगह-जगह सौर ऊर्जा इकट्ठा होगी

सोलर टेक्नोलॉजी लगातार बेहतर हो रही है. ज्यादा समय तक चलने वाले ये लचीले सोलर सेल इंसान के बाल से भी पतले हैं और किसी भी सतह पर लगाए जा सकते हैं. देखिए ये कैसे काम करते हैं और कहां-कहां इस्तेमाल हो सकते हैं.  https://www.dw.com/hi/paper-thin-solar-cells-can-open-a-whole-lot-of-possibilities/video-64214992  इंजीनियर्स ने एक ऐसा सोलर सेल बनाया है जो बालों से भी पतला है और ये कपड़ों से बिजली पैदा कर सकता है. जी हां, अब आपके कपड़े भी आपको बिजली देंगे. समय के साथ टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है. पहले जिन कामों को करने में घंटो या कई दिनों का समय लगता था वो अब महज कुछ सेकंड या मिनट में पूरा हो रहा है. टेक्नोलॉजी ने हम सभी की जिंदगी सरल बना दी है. इस बीच टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़ी एक अच्छी खबर सामने आ रही है. दरअसल, एमआईटी के रिसचर्स ने एक अल्ट्राथिन और अल्ट्रालाइट सोलर सेल तैयार किया है. यानी इंजीनियर्स ने बेहद हल्का और बालों से भी पतला सोलर सेल खोज निकाला है. इस सोलर सेल का इस्तेमाल किसी भी सतह पर किया जा सकता है. जिस सतह पर सोलर सेल को लगाया जाएगा वो पावर सोर्स में बदल जाएगा. यानी अगर आ

ट्विटर के मुक़ाबले ज़करबर्ग के थ्रेड्स में क्या है अलग और ख़ास

  फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी मेटा ने अपने नए ऐप को लॉन्च कर दिया है, जिसे ट्विटर का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है. मेटा के नए ऐप का नाम है थ्रेड्स जिसे कंपनी एक टेक्स्ट बेस्ड कन्वरसेशन ऐप कहती है. ये ऐप सौ से ज़्यादा देशों में उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल कर बीबीसी संवाददाता जेम्स क्लेटन ने क्या पाया. देखिए इस रिपोर्ट में.sabhar BBC.com

अनुवादिका नामक ट्रान्स लेटर छात्रों को हिन्दी में

  सी०एस से एम ५० में शिक्षा मंथन में हिस्सा लेने आये पद्‌मश्री डा० दामू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अनुवादिनी अलोबल वाइस एन्ड् डाक्युमेन्ट ए आई ट्रॉन्स लेसन कम्पुटर tool है जिसे ऍ आई सी टी ईट ने कि विकसित किया  है अनुवादिका   ट्रान्स लेटर छात्रों को हिन्दी में  पढाई करायेगा यह 80 प्रतिशत शुद्ध है गुगल की दिक्कते नहीं आयेगी गुगल से टाइप  करने पर अनेर दिक्कतें आती है २२ भाषाओं में अनुवाद करेगा 13 सेकेन्ड में 500 पेज काअनुवाद होगा ऑन  लाइन  ट्रांसलेशन टेक्स्ट ट्रांसलेशन image translation  speech translation video vice translation table translation होगा यह इन्टर नेट की दुनिआ में क्रन्तिकारी कदम होगा जो कमियाँ गूगल में है वो दूर की गयी है 

लैब में बने गोश्त को क्यों नहीं पसंद कर रहे लोग, देखिए यह रिपोर्ट

क्या लैब में बने मीट खाने के लिए तैयार हैं आप. क़रीब तीन साल पहले सिंगापुर लैब में तैयार मीट की बिक्री को मंज़ूरी देने वाला पहला देश बना था. तब कहा गया था कि यह तकनीक गेम चेंजर साबित होगी. निवेशकों ने इस बिज़नेस में क़रीब तीन अरब डॉलर भी लगा दिए. लेकिन अब लैब में तैयार मीट के कारोबार में वो तेज़ी नहीं देखी जा रही है, जिसका अंदाज़ा लगाया जा रहा था. पर ऐसा क्यों? देखिए बीबीसी संवादादाता निक मार्श की रिपोर्ट. sabhar BBC.com

28 हज़ार साल तक चलेगी 'कचरे' से बनी ये बैट्री, मानव जीवन को बदल देगी, 2023 से मिलेगी ये बैट्री

NDB एक नया तकनीक है, जो न्यूक्लियर जेनरेटर की तरह काम करता है इसमें. परमाणु कचरे से रेडियोधर्मी क्षय ऊर्जा को ऊर्जा में परिवर्तित करके इसके दीर्घकालिक गुणों और दीर्घायु को सुनिश्चित किया जाता है. यह बैट्री खुद को चार्ज कर लेता है. सोचिए, हमारी ज़िंदगी बिजली पर आश्रित हो चुकी है. पंखा से लेकर टीवी तक, मोबाइल से लेकर घड़ी तक, एयरोप्लेन से लेकर अंतरीक्षयान तक, सबकुछ बिजली पर ही आश्रित है. बिजली के कारण हमारी ज़िंदगी आसान हो चुकी है. बिजली कई तरीकों से बनाई जाती हैं. हवा की मदद से, पानी की मदद से, कोयले की मदद से बिजली बनाते हैं. बिजली को संरक्षित रखने के लिए विज्ञान ने बैट्रियों का निर्माण किया है. बैट्रियों को हमें बार-बार चार्ज करना पड़ता है. अगर चार्ज नहीं करेंगे तो फिर हमारा डिवाइस काम करना बंद कर देगा. देखा जाए तो हमारी जिंदगी की बैटरी पर निर्भरता काफी बढ़ गई है. अगर आज मैं आपको एक ऐसी बैट्री के बारे में बताऊं तो 28 हज़ार साल तक चलेगी, तो कैसा लगेगा? जी हां, ये पूरी तरह से सच है. अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्थित ( NDB has made a self-charging battery) एक कंपनी का दावा है कि वो एक बैट्री