28 हज़ार साल तक चलेगी 'कचरे' से बनी ये बैट्री, मानव जीवन को बदल देगी, 2023 से मिलेगी ये बैट्री

NDB एक नया तकनीक है, जो न्यूक्लियर जेनरेटर की तरह काम करता है इसमें. परमाणु कचरे से रेडियोधर्मी क्षय ऊर्जा को ऊर्जा में परिवर्तित करके इसके दीर्घकालिक गुणों और दीर्घायु को सुनिश्चित किया जाता है. यह बैट्री खुद को चार्ज कर लेता है. सोचिए, हमारी ज़िंदगी बिजली पर आश्रित हो चुकी है. पंखा से लेकर टीवी तक, मोबाइल से लेकर घड़ी तक, एयरोप्लेन से लेकर अंतरीक्षयान तक, सबकुछ बिजली पर ही आश्रित है. बिजली के कारण हमारी ज़िंदगी आसान हो चुकी है. बिजली कई तरीकों से बनाई जाती हैं. हवा की मदद से, पानी की मदद से, कोयले की मदद से बिजली बनाते हैं. बिजली को संरक्षित रखने के लिए विज्ञान ने बैट्रियों का निर्माण किया है. बैट्रियों को हमें बार-बार चार्ज करना पड़ता है. अगर चार्ज नहीं करेंगे तो फिर हमारा डिवाइस काम करना बंद कर देगा. देखा जाए तो हमारी जिंदगी की बैटरी पर निर्भरता काफी बढ़ गई है. अगर आज मैं आपको एक ऐसी बैट्री के बारे में बताऊं तो 28 हज़ार साल तक चलेगी, तो कैसा लगेगा? जी हां, ये पूरी तरह से सच है. अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्थित ( NDB has made a self-charging battery) एक कंपनी का दावा है कि वो एक बैट्री बनाने जा रही है जो 28 हज़ार साल तक चलेगी. इस बैट्री का नाम डायमंड बैट्री है, जो परमाणु कचरे से बनती है. NDB की वेबसाइट के अनुसार भविष्य में बैटरी अब नैनो डायमंड बैटरी (NDP) पर काम करेगी. द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, ये हाई पॉवर, डायमंड-आधारित अल्फा, बीटा और न्यूट्रॉन वोल्टाइक बैटरी होती है. जो अपने पूरे लाइफ स्पैन में इस्तेमाल होने के दौरान परंपरागत केमिकल बैटरी से अलग ग्रीन एनर्जी देगा. NDB क्या है? NDB एक नया तकनीक है, जो न्यूक्लियर जेनरेटर की तरह काम करता है इसमें. परमाणु कचरे से रेडियोधर्मी क्षय ऊर्जा को ऊर्जा में परिवर्तित करके इसके दीर्घकालिक गुणों और दीर्घायु को सुनिश्चित किया जाता है. यह बैट्री खुद को चार्ज कर लेता है. सेल्फ-चार्जिंग प्रोसेस के कारण ये बैटरी 28,000 साल तक चल सकती है, इस सेल्फ चार्जिंग प्रोसेस के लिए बैटरी को सिर्फ प्राकृतिक हवा की जरूरत होती है sabhar https://ndtv.in

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट