भाव और ऊर्जा का ह्रास: चेतना, श्वास और प्राण का सूक्ष्म विज्ञान
मनुष्य केवल मांस, अस्थि और रक्त का पिंड नहीं है, बल्कि वह भाव, ऊर्जा और चेतना का एक जीवित तंत्र है। हमारे भीतर उठने वाला प्रत्येक भाव (Emotion) केवल मानसिक घटना नहीं होता, वह ऊर्जा की एक तरंग है—एक ऐसा कंपन, जो हमारे श्वास-प्रणाल और प्राण-तंत्र को सीधे प्रभावित करता है। जैसे विद्युत का नंगा तार मात्र स्पर्श से शरीर को झकझोर देता है, वैसे ही तीव्र भाव चेतना के उस सेतु को हिला देता है, जो हमें विश्व-ऊर्जा (Cosmic Energy) से जोड़ता है। भाव का उदय और कंपन का जन्म जब हृदय में कोई तीव्र भाव—क्रोध, भय, वासना, ईर्ष्या या अत्यधिक आसक्ति—उत्पन्न होता है, तो सबसे पहले सूक्ष्म कंपन (Vibration) जन्म लेता है। यह कंपन केवल मन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि— श्वास की प्राकृतिक लय को तोड़ देता है हृदय की धड़कनों को अनियमित करता है मस्तिष्क की तरंगों को अशांत करता है इस क्षण से मनुष्य सचेत अवस्था से प्रतिक्रियात्मक अवस्था में चला जाता है। श्वास-विकृति और प्राण-ऊर्जा का क्षय भारतीय योग और तंत्र परंपरा में श्वास को प्राण का द्वार माना गया है। जहाँ श्वास नियंत्रित है, वहाँ प्राण सुरक्षित है। जहाँ श्व...