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समझदार कंप्यूटर

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की रिसर्च में सबसे बड़ी चुनौती है एक समझदार कंप्यूटर बनाना. कुछ लोग आगाह करते हैं कि यह तकनीक हमारे वजूद को खतरे में डाल सकती है. अगर मशीन हमसे भी ज्यादा स्मार्ट बन बैठे, तब क्या होगा? टेक्टोपिया के इस एपिसोड में हम बात करेंगे एआई की दुनिया की और उन सवालों की, जो मानवता के सामने मुंह बाए खड़े हैं. sabhar dw.de

घर को ठंडा रखेंगे खास तौर से तैयार किए गए शीशे

एयरकंडीशनर अब बीते दिनों की बात होगी क्योंकि वैज्ञानिकों ने शीशे की ऐसी खिड़कियां तैयार कर ली हैं जो गर्मी में ठंडक और जाड़े में गर्मी का अहसास दिलाएगी। खास रसायन की परत वाले ये शीशे कम आय वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। भारत जैसे विकासशील देशों में तो खास किस्म की परत वाले शीशों से बनी खिड़कियां धूम मचा सकती हैं। 'क्वींसलैंड यूनीवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी' के शोधकर्ताओं ने कहा कि बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैंसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार एयरकंडीशनर का यह 'इको फ्रेंडली' विकल्प होगा। शोधकर्ताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के चमकदार परत वाले शीशों से घरों में बेतहाशा ऊर्जा की खपत कम कर 45 फीसदी तक बिजली की बचत हो सकेगी। साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयेगी। शोधकर्ता 'डॉ. बेल' के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसों के उत्सर्जन में एयरकंडीशनरों का बहुत बड़ा हाथ है। उनके मुताबिक वातानुकूलित घरों और आफिसों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है । बेल ने कहा कि बाजार में उपलब्ध ये शीशे एयरकंडीशनर के मुकाबले तो कूलिंग नहीं करेंगे पर चिलचिलाती गर्मी से राहत दिलान...

डायबिटीज से बचाते हैं खट्टे फल

दीपक कोहली sabhar vigyan pragati कनाडा के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि खट्टे फल वजन बढ़ने, टाइप टू डायबिटीज और हृदय रोग के खतरे को कम करते हैं। 'ओंटेरियो यूनीवर्सिटी' के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि खट्टे फलों में पाये जाने वाला 'फ्लेवोनॉयड नैरीनजेनिन' तत्व शरीर में अतिरिक्त वसा को नष्ट कर देता है और वजन बढ़ने से भी रोकता है। इसमें इंसुलिन जैसे गुण भी पाये जाते हैं जो डायबिटीज को रोकने में सहायक सिद्ध हुए हैं। फ्लेवोनॉयड तत्व पौधों में पाया जाता है और मनुष्यों में यह एंटीऑक्सीडेंट की सक्रियता बढ़ाने का काम करता है । अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि यह तत्व लीवर में आनुवंशिक ढंग से अतिरिक्त वसा को नष्ट करता है। वैज्ञानिकों ने चूहों पर इसके सफल प्रयोग किये हैं।

जीन्स में छिपा है दीर्घायु का राज

। जर्मनी के गुटनबर्ग में 12 जून से 15 जून तक यूरोपियन ह्यूमन जेनेटिक्स कांफ्रेंस 2010 सम्पन्न हुई थी इस कांफ्रेंस में बोस्टन विश्वविद्यालय के प्रो. पाओला सेविस्टियनी द्वारा प्रस्तुत शोध में बताया गया था कि स्वस्थ मनुष्य की जीवन शैली व वातावरण के आधार पर आयु 80 वर्ष होती है। इससे अधिक जीवित रहने का कारण जीन्स में निहित होता है। प्रो. पाओला ने अधिक उम्र वाले लोगों के डीएनए स्कैनिंग टेक्नोलॉजी के जरिये दर्शाया। उन्होंने बताया है कि मानव शरीर में 30 करोड़ (300 मिलियन) जींस में से 150 जींस इससे संबंधित होते हैं, जिनकी पहचान कर ली गई है । 110 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्ति एक करोड़ में एक होते हैं। जिनमें से 85 से 90 फीसदी महिलायें होती हैं ।

कैंसर को खत्म करने वाले टीके का निर्माण

ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टीका बनाने का दावा किया है जो सर्वाधिक घातक किस्म के कैंसरों को भी ठीक कर सकता है । मिडिलसेक्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रे आइल्स के अनुसार स्तन, पेट, अग्न्याशय, सर्विकल और अंडाशय के कैंसर से पीड़ित रोगियों पर परीक्षित इस इंजेक्शन को अगले पांच सालों के दौरान बाजार में उतार दिया जाएगा । अमेरिकी फर्म सेलफेडेक्स थिनेपियूटिक्स के साथ संयुक्त रूप से इस इंजेक्शन को विकसित किया जा रहा है। आईल्स का कहना है कि इस टीके से कैंसर को सिकोड़ा जा सकता है ताकि वह आगे नहीं बढ़े।

जापान चांद और मंगल पर अपने ट्रेन चलाएगा

 यह वीडियो अंकित अवस्थी का है उन्होंने समाचार पत्रों का रिसर्च करके बनाया है अंकित अवस्थी जी ने काफी गहराई से इसका अध्ययन किया है इसमें जापान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है की सन 2050 के बाद चांद और मंगल के लिए ट्रेन चलाई जाएगी यह मैग्नेट पद्धति के ट्रेन पर आधारित होगी यात्रियों को चांद और मंगल पर जाने की यह सुविधा हो जाएगी

गुदा कैंसर की नई दवा ने जगाई उम्मीदें

  अमेरिका में एक प्रयोग में शामिल हुए एक दर्जन से ज्यादा मरीजों का कैंसर ठीक होने को वैज्ञानिकों ने अद्भुत नतीजा बताया है. ये मरीज एक छोटी क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थे. न्यूयॉर्क के मेमॉरियल सलोन केटरिंग (एमएसके) कैंसर सेंटर की एक क्लिनिकल ट्रायल में शामिल हुए गुदा कैंसर के मरीजों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया. सेंटर ने बताया कि इन मरीजों को एक प्रायोगिक दवा डोस्टरलाइमैब दी गई थी. रविवार को यह अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था. सबका कैंसर ठीक हुआ प्रकाशित अध्ययन में गुदा कैंसर से पीड़ित रहे 12 मरीजों का ब्यौरा दिया गया है. अध्ययन के मुताबिक मरीजों को हर तीन हफ्ते पर डोस्टरलाइमैब दी गई. यह प्रयोग छह महीने तक चला. प्रयोग के दौरान डॉक्टर यह मानकर चल रहे थे कि मरीजों को इसके बाद कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी आदि जैसे पारंपरिक इलाज कराने होंगे. यह भी पढ़ेंः  स्तन कैंसर के मरीजों के लिए बड़ी कामयाबी, नई दवा और नई श्रेणी लेकिन छह महीने बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रयोग में शामिल सभी मरीजों का कैंसर ठीक हो गया था. ऐसा पहली बार है जबकि किसी परीक्षण में सभी ...