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जीवन का विकाश तथा मानव की विकाश यात्रा

जीवन की उतपत्ति के विषय में विभिन्य मत हैं जैसे सृस्तीवाद ब्रमांड वाद प्रलाय्वाद स्वतःजनान्वाद परन्तु सर्वाधिक मान्य है प्रकृतवाद या जीव रसायन उद्विकास मत इसके अनुसार जीवन की उत्पत्ती निर्जीव पदार्थो से हुयी है कड़ोरों वर्षों के अनेकानेक भौतिक रासायनिक प्रक्रियाएं चलती रही हैं पहले अकार्बनिक फिर कार्बनिक पदार्थों का निर्माण हुआ इन प्रक्रियायों में ऐसे पदार्थ जैसे न्युक्लियो प्रोटिन से वाईरस जो सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी है अस्तित्व में आया इसमे स्व द्विगुणन होने से सजीव कोसीकायों की उत्पति हुयी तथा लगभग १.५ अरब वर्ष पूर्व सुकेंद्री कोसीकायों की उत्पति हुयी इसकी पुष्टी करने के लिए स्टेनली मिलर तथा हैरल्ड युरे ने प्रयोग साला में मीथेन अमोनिया हईद्रोजन के गैसीय मिश्रण को ६०००० वोल्ट पर अमीनो अम्ल सरल सर्कराएँ तथा अन्य कार्बनिक पदार्थ बनाकर दिखाए इसके बाद एक कोसकीय जीव से बहुकोसकीय जीव तथा उसकेबाद मछली और सरीसृप वर्ग का विकाश हुआ इसके बाद लगभग २१ करोड़ वर्ष पुर्व प्रारम्भिक जोरासिक काल में सरीसृप से स्त्तनधारियो का विकाश हुआ इसके प्राइमेट गण में जैसे आदि कपि बानर लोतीस लीमर्स आदि का विकाश ६.५ करोड़ वर्ष पूर्व हुआ मानव का विकाश बंदरों से होते हुए चिपैंजी तक आया चिपैन्जीयो से सर्वप्रथम २२ लाख वर्ष प्रथम मानव मादा आर्डी आस्तित्व में आ यी यह झुक कर नहीं परन्तु सीधे चलती थी आर्डी के जन्म के १ लाख वर्ष के बाद पुरूष मानव का जन्म हुआ इसके बीच इनके यौन संबंद चिपैजीयों के साथ चलते रहे करीब १० लाख वर्ष पहले आधुनिक मानव का विकाश हुआ इसमे होमो हैबिलास होमो इरेक्ट या जावा मानव पेकिंग मानव हीदाल्वर्ग मानव इसके बाद आधुनिक मानव होमोसेपियंस का विकाश इसमे नियेंदाल्थल मानव क्रोमैगानन तथा आदुनिक मानव होमोसपियांस का विकाश हुआ नेयेंदार्थल मानव आज के मानव के सबसे निकटतम संबंधी माने जाते है ये यूरोप व एशिया के कुछ भागो में निवास करते थे आज से लगभग ३०००० वर्ष पूर्व ये लुप्त हो गए इनकी जीनी संग्रचना में ०.5%का अंतर मानव से है यह अंतर चिपैजी से 1 % है नेयेंदाल्थल मानव में दूध पचाने का जीन नहीं पाया जाता था वे चतुर आदुनिक मानव के सामने टिक नहीं पाए करीब ३००००० वर्ष तक ये दोनों साथसाथ रहे अब आगे भी मानव की विकास यात्रा जारी है अब मानव अपनी छमता बढाने के लिए कम्पूटरचिप का प्रयोग करना चाहता है इसकी मदद से मानव अपना मस्तिस्क विकसीत करना चाहता है एक विश्व प्रसिध्य वैज्ञानिक ने ये दावा किया है की शीघ्र ही ऐसी तकनीक आजायेगी मानव मशीन में तथा मशीन मानव में समाहीत हो जायेगी कही यह जीवन यात्रा होमोसेपियंस से होमो साइबर में तो नहीं बदलने जारही क्योकी डार्विन का सिधांत है की सर्विवल ऑफ़ दी फिटेस्ट यानी उसी का आस्तित्व रहेगा जो फिट है अतः हमें ज्ञान विज्ञानं को समझाना होगा

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