सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सौर ऊर्जा की आपूर्ति अब तरंगों द्वारा

सौर्य ऊर्जा को अब बिना तार के तरंगो के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह भेजने में वैज्ञानिको को महत्पूर्ण सफलता मिली है यह कारनामा नासा के पूर्व वज्ञानिक जोंन सी माय्किंस ने कर दिखाया इस प्रयोग का उदेश्य उपग्रह के जरिये इकठ्ठा सूर्य ऊर्जा को धरती पर भेजना जो आगे चल कर उर्जा के जरूरतों को पूरा करने के दिशा में अहम् कदम साबित हो सकता है मैकिन्स अब उपग्रहों के जरिए इकट्टा सौर ऊर्जा को धरती में झील के आकार वाले रिसीवर तक भेजने के बारे में सोच रहे है इन्होने सोलर पावर को रेडियो तरंगो के जरिये हवाई के द्वीप से दूसरे दीप में सफलता पूर्वक ट्रांस्मीत करने में सफल हुए इन दो दीपो के बीच के दूरी १४८ किलोमीटर है मैकिन्स ने मई मेंअपने प्रयोग के द्योरान २० वाट सोलर पावर को एक दीप से दूसरे दीप भेजा हालांकी दूसरे दीप मेंस्थित रिसीवर इतना छोटा था की उसने भेजे गयी ऊर्जा का एक हजारवां हिस्षा ही रिसीव किया मैकिन्स ने इस प्रयोग को डिस्कवरी चैनल के लिए किया है इसी चैनल ने इस प्रयोग को करने के लिए धन उपलब्ध कराया था इसे पूरा करने में १० लाख डालर का खर्च आया प्रयोग में २० वाट के सोलर पावर को ट्रांस मीत करने के लिए नौ सोलर पैनल का प्रयोग किया लेकिन यु अस फेडरल अबिअसन एडमिनिस॒टेसन ने प्रति पैनल सिरफ दो वाट ट्रांस्मीत करने के मंजूरी दी बहूत कम पावर रिसीव करने के बावजूद मंकिक्स कहते है की जमीनी टेस्ट ने साबित कर दिया वातावरण के जरिये सोलर पावर को ट्रांस्मीत किया जा सकता है

टिप्पणियाँ

  1. अच्छा प्रयास है..काफी जानकारी है आपके ब्लॉग पर.
    मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का दिल से आभार.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

vigyan ke naye samachar ke liye dekhe

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

क्या है आदि शंकर द्वारा लिखित ''सौंदर्य लहरी''की महिमा

?     ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥  अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों  (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''।      ''सौंदर्य लहरी''की महिमा   ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का

क्या हैआदि शंकराचार्य कृत दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम्( Dakshinamurti Stotram) का महत्व

? 1-दक्षिणामूर्ति स्तोत्र ;- 02 FACTS;- दक्षिणा मूर्ति स्तोत्र मुख्य रूप से गुरु की वंदना है। श्रीदक्षिणा मूर्ति परमात्मस्वरूप शंकर जी हैं जो ऋषि मुनियों को उपदेश देने के लिए कैलाश पर्वत पर दक्षिणाभिमुख होकर विराजमान हैं। वहीं से चलती हुई वेदांत ज्ञान की परम्परा आज तक चली आ रही  हैं।व्यास, शुक्र, गौड़पाद, शंकर, सुरेश्वर आदि परम पूजनीय गुरुगण उसी परम्परा की कड़ी हैं। उनकी वंदना में यह स्त्रोत समर्पित है।भगवान् शिव को गुरु स्वरुप में दक्षिणामूर्ति  कहा गया है, दक्षिणामूर्ति ( Dakshinamurti ) अर्थात दक्षिण की ओर मुख किये हुए शिव इस रूप में योग, संगीत और तर्क का ज्ञान प्रदान करते हैं और शास्त्रों की व्याख्या करते हैं। कुछ शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी साधक को गुरु की प्राप्ति न हो, तो वह भगवान् दक्षिणामूर्ति को अपना गुरु मान सकता है, कुछ समय बाद उसके योग्य होने पर उसे आत्मज्ञानी गुरु की प्राप्ति होती है।  2-गुरुवार (बृहस्पतिवार) का दिन किसी भी प्रकार के शैक्षिक आरम्भ के लिए शुभ होता है, इस दिन सर्वप्रथम भगवान् दक्षिणामूर्ति की वंदना करना चाहिए।दक्षिणामूर्ति हिंदू भगवान शिव का एक

पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है

वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके