अंतरग्रहीय सुरछा सम्मलेन में शामिल अन्त्रिछाविदों के सामने पृथ्वी के नजदीकी पिंडों को पहिचानने उनपर निगरानी रखने और उन्हें दूर हटाने की चुनौती सामने आयी इस सम्मलेन का आयोजन विनाशकारी अंतरिछ्य टक्करों के खतरों को कम करने अंतरास्त्रिय प्रयाश हुए नासा के नेतृत्व में आयोजीत सम्मलेन में संसार के अंतरिछ्य संगठनो ने भाग लिये यह खतरा उलका जैसे अकासीय पिंडों से है यदि बड़े आकर के उलका पिंड टकरा गए तो समूची मानव प्रजाती ही खतरे में पड़ सकती है साडे छे कड़ोड़ वर्ष पहीले धरती से डायनासोरो का नामोनिसान मिट गया सम्मलेन में अपोसिस नामक एक विशालकाय उलका पिंड पर विचार हुआ जो वर्ष २०२९ में के निकट से गुजरेगा तथा ७ वर्ष बाद यही पिंड पृथ्वी के निकट पहूंचेगा i
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
vigyan ke naye samachar ke liye dekhe