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चतुर्थ क्रिया पीनियल ग्रंथि

 

चतुर्थ क्रिया का अभ्यास करने से आप ललाट, पोन्स, थैलेमस, हाइपोथैलेमस, पीनियल ग्रंथि के अंदर, पिट्यूटरी के सामने और मध्य मस्तिष्क में कुछ विशेष आत्मिक गति को अनुभव करते हैं। आपको लगता है कि प्रकाश  उर्ध्वलोकों से  भूलोक की ओर घूमते हुए आ रहा है । इस चौथे स्तर को असंशक्ति समाधि कहा जाता है, इसका अर्थ है कि आप स्वतंत्र रूप से परमचेतना में विचरण कर रहे हैं और अपने पूरे शरीर में भगवान की प्रत्यक्ष उपस्थिति का अनुभव करते हैं। आप स्वयं को एक दिव्य प्रकाश एवं भगवत अनुभूति का अनुभव करने वाले  देवता के रूप में देखते हैं। आप हजारों ज्योतियों और उनके प्रकाश को देख सकते हैं, यहां तक ​​कि खुली आंखों से, जो आपकी आंतरिक जगत को प्रकाशित करती हैं। आप वास्तव में सहस्रार के ऊपर एक परम प्रकाश को पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशमान करते हुए देख सकते हैं । आपके शरीर में आप सात प्रकार के प्रकाश देख सकते हैं,  सात केंद्रों में से प्रत्येक में दो अग्नि, एक आरोही और दूसरा अवरोही । आप इन ज्योतियों को अपने शरीर के भीतर और बाहर दोनों जगह देख सकते हैं। गुरु का शरीर अंधकार जैसा दिखाई देगा, जिसके चारों तरफ प्रकाश होगा।

~ परमहंस हरिहरानंद जी के लेख के अंश

*Fourth  Kriya* 

By practicing  the  fourth  Kriya  you  feel  some  special  movement  of  the  soul  inside  the  forehead, pons,  thalamus,  hypothalamus,  pineal  gland,  in  front  of  the  pituitary  and  in  the  mid  brain.  You feel  that  the  light  is  rotating  around  from  the  high  heavens  to  the  earth.  This  fourth  level  is  called asamshakti  samadhi,  it  means  you  are  roaming  freely  in  superconsciousness  and  perceive  the living  presence  of  God  in  your  whole  body. You  see  the  Self  as  a  deity  experiencing  divine  illumination  and  the  sensation  of  God.  You  may see  thousands  of  sparks  and  flashes,  even  with  your  eyes  open,  that  light  up  your  inner  world. You  can  also  literally  see  a  super  light  above  the  crown,  lighting  up  the  whole  universe.  In  your body  you  can  see  seven  types  of  light,  two  fires  in  each  of  your  seven  centers,  one  ascending  and the  other  descending.  You  can  see  these  lights  both  inside  and  outside  your  body.  The  body  of the  guru  will  appear  dark,  with  illumination  all  around  it. 

~ Excerpts from writings of Paramahamsa Hariharananda ji

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