✍️.... DrAbhilasha Dwivedi
बिना चुनौतियों का सामना किए सिद्धांत नहीं बनते
और विज्ञान नहीं माना जाता है।
योग को पश्चिम दुनिया में मान्यता दिलाने वाले
#स्वामी_राम (रामदेव नहीं) और
#स्वामी_शिवानंद_सरस्वती
की चुनौतियों और उनके परीक्षण के बाद
इसे सिद्ध करने के बारे में जानना चाहिए।
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साठ के दशक में #योग के सामने कठिन दौर था #वैज्ञानिक साबित होने का.
क्योंकि #अमेरिका के #लैब में योग सफल न हुआ तो उसका पश्चिम में प्रवेश निषेध हो जाता.
इसी कठिन दौर में हिमालय के
एक महान #योगी #स्वामी_राम
डॉ एल्मर ग्रीन के बुलावे पर 1969 में अमेरिका जाते हैं.
मैनिन्जर फाउण्डेशन की लेबोरेटरी में उनके योग संबंधी दावों की लंबी जांच पड़ताल चलती है लेकिन
स्वामी राम की पराभौतिक शक्तियों के आगे विज्ञान असंभव को संभव मान लेता है.
परीक्षण के दौरान उन्होंने16 सेकेण्ड के लिए हृदय गति रोक दी लेकिन वे जिन्दा रहे और सबसे बात करते रहे. उन्होंने अपने हथेली के अलग- अलग हिस्से में 11 डिग्री का तापमान अंतर पैदा करके
शरीर विज्ञान के असंभव को संभव कर दिखाया.
लेकिन योग का इससे भी बड़ा एक अचंभा उन्होंने कैमरे में कैद किया.
और वह था चक्र की शक्ति.
शरीर के भीतर षट्चक्रों को विज्ञान कल्पना ही मानता था.
लेकिन स्वामी राम ने दावा किया कि
वे हर चक्र पर
आभामंडल (औरा)
पैदा करेंगे जिसे कैमरे में कैद किया जा सकता है.
उनके हृदय स्थल (अनाहत चक्र)
पर उभरा आभामंडल न सिर्फ कैमरे में कैद हुआ बल्कि विज्ञान के सामने पहली बार योग का षट्चक्र सिद्धांत भी साबित हुआ.
जो अभी तक विज्ञान में कपोल कल्पना समझा जाता था.
स्वामी राम जैसे महान योगियों के कारण आधुनिक दुनिया में योग अपनी वैज्ञानिकता सिद्ध कर सका है.
#Health #Wellness #Yoga #spiritualIndia #7chakras #innerengineering
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