दुनिया जहान से बेखबर कुछ खोजने और दुनिया को देने की सनक वैज्ञानिकों में सदियों से रही है। उसी का नतीजा है कि आज हम ये सारे सुख भोग रहे हैं और आराम की जिंदगी जीते हैं। लेकिन कुछ जुनूनी अपनी जिंदगी को दांव लगाकर लगे हुए हैं खोज में।
शोधकर्ता हर चरम परिस्थिति में काम करने के लिए तैयार रहते हैं। इसके लिए उन्होंने बनाई हैं कुछ प्रयोगशालाएं, जो आम जगहों से दूर ऐसे हालातों में हैं जहां चल रहा है निरंतर शोध।
कैसे खतरनाक हालातों में ये काम कर पाते होंगे। आईए जानते हैं कुछ ऐसी ही प्रयोगशालाओं के बारे में, जो असामान्य वातावरण वाले स्थानों पर बनी हैं और वहां क्या होता है काम।
सबसे गहरे पानी में स्थित लैब
अमेरिका के फ्लोरिडा में नोआ एक्वारिस रीफ बेस एकमात्र ऑपरेशनल अंडरवाटर लैब है। पिछले दो दशकों में शोधकर्ता यहां इकोलॉजी और रीफ का अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा तरिक्षयात्रियों को भारहीनता जैसे कुछ अनुभव दिलाने के लिए नासा भी इसका प्रयोग करता है।
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सर्वाधिक तापमान पैदा करने वाली लैब
अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में स्थित ब्रूकहैवन नेशनल लैबोरेट्री में 4 ट्रिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा किया जा चुका है। फरवरी 2010 में लेटिविस्टिक
हैवी आयन कोलाइडर (आरएचआईसी) की मदद से इंसान द्वारा पैदा किया गया यह सर्वाधिक तापमान सूर्य के केंद्र की तुलना में 2,50,000गुना अधिक था। इसके लिए सोने के आयनों को प्रकाश की गति से टकराया गया था। आरएचआईसी दुनिया की एक मात्र फैसिलिटी है, जहां प्रोटॉन के घूमने का परीक्षण करने के लिए पोलराइज्ड प्रोटॉन की टक्कर कराई जाती है। इसके अलावा सबसे अधिक एनर्जी वाले प्रोटॉन को भी यहीं देखा गया है।
सबसे बड़ी पार्टिकजिक्स लैल फिब
जिनेवा के पास यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) स्विट्जरलैंड में 250 एकड़ और फ्रांस में 1,125 एकड़ जगह में बनी है। यह जगह हाल में लार्ज ह्रेडन कोलाइडर (एलएचसी) के महाप्रयोग के कारण चर्चा में रही है। एलएचसी को 150 मीटर की गहराई में एक सुरंग के अंदर लगाया गया है, जो कि 27 किमी तक फैली है। यहां 113 देशों के 10,000 से अधिक वैज्ञानिक और इंजीनियर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही 2,400 लोगों का फुल-टाइम स्टाफ भी है। इसकी स्थापना 1994 में हुई थी और दुनिया की प्रमुख टेक्नोलॉजी जैसे वर्ल्ड वाइड वेब का कास यहीं से हुआ।
सबसे ठंडी फिजिक्स लैब
अंटार्कटिका की जमी हुई मोटी बर्फ की परत के नीचे आइसक्यूब न्यूट्रिनो ऑब्जरवेट्री स्थापित है। यह धरती की सबसे ठंडी फिजिक्स लैब और दुनिया की सबसे बड़ी न्यूट्रिनो ऑब्जरवेट्री है। यहां रोजाना शोध से करीब एक टेराबाइट डाटा जमा होता है, जिसमें से 100 गीगाबाइट डाटा विश्लेषण के लिए भेजा जाता है।
सबसे ऊंची जगह पर प्रयोगशाला
पाल के सागरमाथा नेशनल पार्क में समुद्र तल से 16,568 फीट की ऊंचाई पर पिरामिड लैबोरेट्री बनी है। यह तीन मंजिला पिरामिड के आकार वाली लैब ग्लास, स्टील और एल्युमिनियम से बनी है। यहां जियोलॉजी, क्लाइमेट, एन्वायर्नमेंट्री और ह्यूमन फिजियोलॉजी के बारे में रिसर्च की जाती है। इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। दो तलों में कई लैब और वेयरहाउस हैं और तीसरे तल में डाटा प्रोसेसिंग और टेलीकम्युनिकेशन्स की व्यवस्था की गई sabhar : bhaskar.com
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