स्तूपासन के फायदे

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  • यहा आतो के इन्फेक्शन को ख़त्म करता है।
  • स्तूपासन आसन करने से पेट के स्नायुओं को शक्ति मिलती है तथा नाड़ी संस्थान को यह व्यवस्थित करता है।
    इस आसन के अभ्यास से कब्ज, पेट के विकार और वीर्य दोष दूर होते हैं तथा पूरा शरीर शुद्ध होता है।
  • उच्च स्तर पर कुण्डलिनी को जागृत करने में भी इस आसन का अभ्यास ज्यादा फायदेमंद है।
  • स्तूपासन आसन आतों की गंदगी को साफ करता है तथा पाचन क्रिया में वृद्धि करने में भी इस आसन के अनेक लाभ है

स्तूपासन करने की विधि -

  • स्तूपासन करने के लिए सबसे पहले मैट बिछाकर बैठ जाएं।
  • अब अपने दाएं पैर को बाएं जांघ पर रखें तथा बाएं पैर को दाएं जांघ पर रखें।
  • इसके बाद दोनों हाथों की मुट्ठियां बांध कर पीछे की ओर ले जाएं। अब दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ में कसकर पकड़ के नीचे की ओर करके रखें।
  • इसके बाद गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए सामने की ओर जितना झुकना संभव हो जब चाहें मुट्ठियों को कसकर पकड़ कर रखें।
  • आसन की इस स्थिति में 3 से 10 सेकंड तक रहें और सांस को रोक कर रखें।
  • सांस को छोड़ते हुए धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं

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