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ज्योतिष : अद्वैत का विज्ञान

 💥🌞🌅🌅🌅 सूर्य ग्रहण🌅🌅🌅🌞💥 उन्नीस सौ बीस में चीजेवस्की नाम के एक रूसी वैज्ञानिक ने इस बात की गहरी खोजबीन शुरू की और पाया कि सूरज पर हर ग्यारह वर्षों में पीरियोडिकली बहुत बड़ा विस्फोट होता है। सूर्य पर हर ग्यारह वर्ष में आणविक विस्फोट होता है। और चीजेवस्की ने यह पाया कि जब भी सूरज पर ग्यारह वर्षों में आणविक विस्फोट होता है तभी पृथ्वी पर युद्ध और क्रांतियों के सूत्रपात होते हैं। और उसके अनुसार विगत सात सौ वर्षों के लम्बे इतिहास में सूर्य पर जब भी कभी ऐसी घटना घटी है, तभी पृथ्वी पर दुर्घटनाएं घटी हैं। चीजेवस्की ने इसका ऐसा वैज्ञानिक विश्लेषण किया था कि स्टैलिन ने उसे उन्नीस सौ बीस में उठाकर जेल मैं डाल दिया था। स्टैलिन के मरने के बाद ही चीजेवस्की छूट सका। क्योंकि स्टैलिन के लिए तो अजीब बात हो गयी! मार्क्स का और कम्‍युनिस्‍टों का खयाल है कि पृथ्वी पर जो क्रांतियां होती हैं उनका मूल कारण मनुष्य—मनुष्य के बीच आर्थिक वैभिन्य है। और चीजेवस्की कहता हैं कि क्रांतियों का कारण सूरज पर हुए विस्फोट हैं। अब सूरज पर हुए विस्फोट और मनुष्य के जीवन की गरीबी और अमीरी का क्या संबंध? अगर चीजेवस्की...

विश्वरुप दर्शन योग

 • आकाश मे हजार सूर्यो के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश हो , वह भी उस विश्वरुप परमात्मा के प्रकाश के सदृश कदाचित ही हो । ( 12 )  • पाण्डुपुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से विभक्त अर्थात पृथक – पृथक सम्पूर्ण जगत के देवो के देव श्री कृष्ण भगवान के उस शरीर मै एक जगह स्थित देखा । ( 13 )  • उसके अनन्तर वे आश्चर्य से चकित और पुलकित शरीर अर्जुन प्रकाशमय विश्वरुप परमात्मा श्रद्धा भक्ति सहित सिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोले । ( 14 ) • अर्जुन बोले – हे देव ! मै आपके शरीर मे सम्पूर्ण देवो को तथा अनेक भूतो के समुदायो को , कमल के आसन पर विराजित ब्रह्मा को , महादेव को और सम्पूर्ण ऋषियो को तथा दिव्य सर्पो को देखता हू । ( 15 )  • हे सम्पूर्ण विश्व के स्वामिन ! आपको अनेक भूजा , पेट , मुह और नेत्रो से युक्त तथा सब ओर से अनन्त रुपो वाला देखता हू । हे विश्वरुप ! मै आपके न अन्त को देखता हू , न मध्य को और न आदि को ही । ( 16 ) • आपको मै मुकुटयुक्त , गदायुक्त और चक्रयुक्त तथा सब ओर से प्रकाशमान तेज के पुन्ज प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के सदृश ज्योतियुक्त , कठिनता से देखे जाने योग्य ...

ट्विटर ने ब्लू टिक हटाया, डॉर्सी ने लॉन्च किया ब्लूस्काई:ऐप में मिलेंगे ट्विटर जैसे फीचर्स, इसका इंटरफेस यूज करने में आसान

ट्विटर के पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) जैक डॉर्सी ने गुरुवार (20 अप्रैल) को एंड्रॉयड यूजर्स के लिए ब्लूस्काई (Bluesky) ऐप लॉन्च कर दिया। इसे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के अल्टरनेटिव ऑप्शन के रूप में उतारा गया है। खास बात ये है कि आज ही ट्विटर ने लोगों के अकाउंट से लीगेसी ब्लू टिक हटा दिए हैं। अब यूजर्स को ब्लू टिक के लिए ट्विटर का सब्सक्रिप्शन प्लान लेना होगा। 256 शब्दों में कर सकते हैं पोस्ट फिलहाल, ब्लूस्काई ऐप डेवलपिंग फेज में है, इस ऐप को सिर्फ एक इनवाइट कोड (OTP) के साथ एक्सेस किया जा सकता है। ऐप एक आसान यूजर इंटरफेस देता है, जहां आप 256 वर्ड्स की एक पोस्ट बनाने के लिए प्लस बटन पर क्लिक कर सकते हैं, जिसमें फोटो भी शामिल हो सकती है। इसमें कुछ फीचर्स ट्विटर जैसे दिए गए हैं। यूजर्स को नया ऑप्शन देने की कोशिश करेंगे जैक डॉर्सी की वेबसाइट ने कहा कि ब्लूस्काई ऐप सोशल नेटवर्किंग के लिए एक नई नींव साबित होगा। ये ऐप आने वाले दिनों में यूजर्स को और ज्यादा ऑप्शन और क्रिएटर्स को प्लेटफॉर्म्स से और ज्यादा फ्रीडम देगा। हम यूजर को उनके अनुभव शेयर करने का एक नया ऑप्शन देने की कोशिश...

उपदेवता गन्धर्व

-----------------:उपदेवता गन्धर्व:----------------- *********************************** यक्ष के बाद गन्धर्व का नाम आता है। इनके शरीर का रंग हल्का सिन्दूरी होता है। गन्धर्व भी यक्षों की राजसी प्रवृत्ति के होते हैं। इनका भी क्रीड़ा-क्षेत्र हिमालय है। इनका भी शरीर यक्षों की तरह सुगठित और लम्बा होता है। ऑंखें मोर जैसी होती हैं जो किसी को भी सम्मोहित कर सकने में समर्थ होती हैं। नाक तोते की तरह नुकीली और कान बड़े-बड़े होते हैं। भिन्न भिन्न प्रकार के रत्नजड़ित स्वर्णाभूषण इनको प्रिय हैं। आभूषणों से रूप-सौंदर्य और भी निखर उठता है इनका। सिर के बाल घने और काले होते हैं जो पीठ पर बिखरे रहते हैं। सिर पर रत्नजड़ित नीले रेशमी वस्त्र की गोल पगड़ी भी बांधते हैं जिसमें आगे की ओर बड़ा सा मोर पंख लगा रहता है। ये भगवान शिव के भक्त होते हैं। मस्तक पर त्रिपुण्ड धारण किये रहते हैं। गन्धर्व कन्यायें भी अति सुन्दर होती हैं।इनका व्यक्तित्व अत्यन्त मोहक और आकर्षक होता है। ये भी रत्नजड़ित आभूषण धारण करती हैं। नृत्य और गायन कला में निपुण होती हैं गन्धर्व कन्यायें। जहाँ भी नृत्य और गायन का आयोजन होता है, वहां ये उपस्थ...

बिहार के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने आइंस्टीन की थ्योरी को चुनौती देकर हैरान किया था

Patna: अल्व्रेट आइंस्टीन जो विश्व के प्रसिद्ध महान भौतिकविद है। इन्होंने भौतिकी के कई नियम दिए जैसे सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण आदि। इसके लिए इन्हें नोबल पुरुष्कार से भी सम्मानित किया गया। पूरे विश्व में कई महान हस्तियां का जन्म हुआ, जिन्होंने देश को कुछ न कुछ विशेष दिया ही है। क्या आप जानते है भारत देश में भी एक ऐसे महान पुरुष का जन्म हुआ है। जिन्होंने आइंस्टीन के सिद्धांतो (Einstein’s theory) को भी मात दे डाली। उस महान हस्ती का नाम वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) है, जो एक महान गणितज्ञ है। ये भारत के बिहार राज्य से है। नारायण सिंह जी ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (Theory Of Relativity) जैसे प्रसिद्ध सिद्धांत को टक्कर दिया। हमेशा से यही पढ़ा है और सुना है की आज तक आइंस्टीन जैसे ज्ञानी पैदा ही नहीं हुए परंतु नारायण जी न...

काम का वास्तविक आनंद

समान रूप से शारीरिक सम्बन्धों द्वारा भोगा गया आनन्द ही सम्भोग है। इसमें सेक्स का आनन्द स्त्री-पुरुष को समान रूप से प्राप्त होना आवश्यक है। स्खलन के साथ ही पुरुष को तो पूर्ण आनन्द की प्राप्ति हो जाती है और सेक्स सम्बन्ध स्थापित होते ही पुरूष का स्खलन निश्चित हो जाता है। यह स्खलन एक मिनट में भी हो सकता है तो दस मिनट में भी। अर्थात् पुरुष को पूर्ण आनन्द की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए मुख्य रूप से स्त्री को मिलने वाले आनन्द की तरफ ध्यान देना आवश्यक है। अगर स्त्री इस आनन्द से वंचित रहती है, इसे सम्भोग नहीं माना जाना चाहिए। इस वास्तविकता से व्यक्ति पूरी तरह से अनभिज्ञ होकर अपने तरीके से सेक्स सम्बन्ध बनाता है और स्त्री के आनन्द की तरफ कोई ध्यान नहीं देता है। इसे केवल भोग ही मानना चाहिए। सम्भोग की वास्तविकता को समझे बिना इसे जानना मुश्किल होगा। विवाह के बाद व्यक्ति सम्भोग करने के स्थान पर भोग करता है तो इसका मतलब यह है कि वह इस तरफ से अनजान है कि स्त्री को सेक्स का पूरा आनन्द मिला कि नहीं। सम्भोग शब्द की महत्ता को समझें। स्त्री को भोगें नहीं, समान रूप से आनन्द को बांटे। यही संभोग है। ...

सूक्ष्म शरीर की विशेषताएं:

------------: ------------ *********************************** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव भगवान पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अद्भुत अलौकिक अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्यपाद गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन 1- सूक्ष्म शरीर की पहली विशेषता यह है कि इच्छानुसार उसकी गति घटायी-बढ़ायी जा सकती है। 2- दूसरी विशेषता यह है कि कोई भी भौतिक वस्तु या पदार्थ उसके मार्ग में बाधक नहीं बन सकता। 3- सूक्ष्म शरीर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त रहता है। 4- पृथ्वी के किसी भी भाग में निर्बाध गति से तत्काल पहुंच सकता है सूक्ष्म शरीर। एक बात जानकर हम-आप आश्चर्यचकित होंगे कि पृथ्वी पर जितने भी जीवित मनुष्य हैं, उनसे कहीं अधिक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की परिधि में सूक्ष्म शरीरधारी विभिन्न प्रकार की आत्माएं विद्यमान हैं जो पुनः शरीर ग्रहण करने के लिए बराबर प्रयासरत रहती हैं। उन्हीं में बहुत-सी उच्चकोटि की दिव्यात्मायें और योगात्मायें भी हैं जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की सीमा लांघकर पारलौकिक जगत में प्रवेश करने के लिए सचेष्ट हैं। ------------:एक योगात्मा ...

---------------:साधना-मार्ग में भैरवी की अवधारणा:--

-------------- *********************************** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव भगवान पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अद्भुत अलौकिक अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्यपाद गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन परामानसिक जगत की दिशा में चक्र का उन्मेष तो पहले ही हो चुका था, अब वह क्रियाशील अवस्था में है। शक्ति तो निराकार होती है, वह अनुभव का विषय है, लेकिन अत्यन्त आश्चर्य का विषय है जिस पर सहसा कोई विश्वास करने को तैयार नहीं होगा। लेकिन कभी-कदा आवश्यकता पड़ने पर कुण्डलिनी-शक्ति साकार रूप भी धारण कर सकती है। चमेली (गुरुदेव के निवास पर झाड़ू, पोंछा, भोजन, बर्तन आदि का काम करने वाली लड़की) जैसी किसी माध्यम द्वारा प्रकट होकर साधक के पास आती है और मार्गदर्शन भी करती है। तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि तांत्रिक साधना-भूमि में भैरवी का महत्वपूर्ण स्थान है। बिना भैरवी के साधक अपने साधना-मार्ग में निर्विघ्न सफल हो ही नहीं सकता। इसके अनेक कारण हैं। सच बात तो यह है कि पूरा तंत्र-शास्त्र काम-शास्त्र पर आधारित है, इसलिए कि चार पुरुषार्थो में तीसरा पुरुषार...

तंत्र साधना में मंत्रों का विशेष महत्व

तंत्र साधना में मंत्रों का विशेष महत्व है। इन मंत्रों में प्रमुख होता है उस मंत्र का बीज अक्षर। जैसे सरस्वती का बीज है ऐम् काली का बीज है कलीम् इसी प्रकार अलग अलग देवी देवताओं के लिए एक विशेष बीज अक्षर होता है जो स्वयं में पूर्ण मंत्र भी होता है। इन अक्षरों से एक विशेष प्रकार की ध्वनि या नाद उत्पन्न किया जाता है जिनकी डिजाइन और शेप भी एक विशेष प्रकार के बनते हैं। ये अक्षर हमारे ऋषि मुनीयों ने एक विशेष प्रकार की शक्ति का आहवाहन करने के उद्देश्य से खोजे। इन बीज अक्षरों का संबंध हमारी रीढ़ की हड्डी से लगी शुष्मना नाड़ी में स्थित अलग अलग चक्रों से है। तो जब साधक पूर्ण शुद्धी के साथ मंत्रों का जप करता है तो एक निश्चित केंद्र पर ऊर्जा का धक्का देता है। जिससे धीरे धीरे उस अमुक चक्र की शुद्धी होती है और उस चक्र से ऊर्जा के विस्फोट शुरू हो जाते हैं। इसी उत्पन्न ऊर्जा को ऋषि मुनियों ने सिद्धी नाम दिया। अर्थात सरस्वती और बगला कंठ को सिद्धी देती हैं। महालक्ष्मी नाभी को सिद्धी देती हैं। शिव हृदय को सिद्धी देते हैं। इन पृयोगों में अलग अलग सिद्धियों के लिए विशेष प्रकार की गंध का भी पृयोग किया जाता है...

अम्ल क्षार और लवण क्या होते हैं

अम्ल • अम्ल ऐसे यौगिक पदार्थ होते हैं, जिनमें हाइड्रोजन प्रतिस्थाप्य के रूप में रहता है। UTT • विलयन में H (aq) आयन के निर्माण के कारण ही पदार्थ की प्रकृति अम्लीय होती है। • जब कोई अम्ल किसी धातु के साथ अभिक्रिया करता है तब हाइड्रोजन का उत्सर्जन होता है। साथ ही संगत लवण का निर्माण होता है। • जब अम्ल किसी धातु कार्बोनेट या धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट से अभिक्रिया करता है तो यह संगत लवण कार्बन डाइऑक्साइड गैस एवं जल उत्पन्न करता है। • अम्ल का जलीय विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है। • अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ● खट्टे दूध में लैक्टिक अम्ल पाया जाता है। • सिरके एवं अचार में एसीटिक अम्ल होता है। ● नींबू एवं सन्तरे में साइट्रिक अम्ल होता है। नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग सोने एवं चाँदी के शुद्धीकरण में किया जाता है। • कपड़े से जंग के धब्बे हटाने के लिए ऑक्जैलिक अम्ल प्रयोग होता है। • 3:1 के अनुपात में सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सान्द्र नाइट्रिक अम्ल का ताजा मिश्रण 'अम्लराज' (Aqua regia) कहलाता है। यह सोने एवं प्लेटिनम को गलाने में समर्थ होता है। भस्म • भस्म ऐसा यौगिक ...