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5जी तकनीक से काफी बदलाव होगा

दुनिया के कुछ देशों में 5जी की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के नाम शामिल हैं। धीरे-धीरे 5जी इंटरनेट पूरी दुनिया में शुरू हो जाएगा। गार्टनर के मुताबिक, 2020 तक दुनिया भर में 5जी वायरलेस नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर रिवेन्यू 4.2 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। साल 2025 तक 75 अरब इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस आने की उम्मीद है, जिससे यह दुनिया इंटरनेट की मदद से अधिकतर काम बड़ी आसानी से कर सकेगी। 5जी कमर्शियल नेटवर्क आने के बाद पहला फायदा मोबाइल ब्रांडबैंड को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा। साथ ही हर घर तक बिना फाइबर लेन के फाइबर स्पीड होगी समय की होगी बचत इंटरनेट की स्पीड बढ़ने से न सिर्फ जिंदगी आसान होगी बल्कि समय की भी बचत होगी। दरअसल, वर्तमान समय में कोई भी एच एचडी क्वालिटी की फिल्म डाउनलोड करने में काफी समय लगता है लेकिन 5जी आने के बाद किसी भी काम को चंद सेकेंड में किया जा सकेगा। यहां तक कि कई बार तार के माध्यम से आने वाले इंटरनेट कनेक्शन में कनेक्टिविटी टूटने की आशंका रहती है, 5जी में उस तरह की भी समस्या नहीं होगी। इन देशों में शुरू हो चुकी है 5जी सेवा 5जी सर्विस अमेरिका, दक्षिण कोरिया और कुछ यूरोपियन देश जैसे स्विट्जरलैंड, फिनलैंड और ब्रिटेन का नाम शामिल है। इसके अलावा कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, स्पेन, स्वीडन, कतर और द यूएई 5जी के शुरुआत की घोषणा कर चुके हैं। दक्षिण कोरिया, चीन, जापान भर रहे फर्राटा दक्षिण कोरिया, चीन, जापान जैसे देश अगले साल 5जी तकनीक को लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और इसके लिए उनका होमवर्क भी पूरा हो चुका है। दरअसल, जिस तरह बुलेट ट्रेन के लिए पूरी तरह अलग ट्रैक बनाने की जरूरत होती है, उसी तरह 5जी तकनीक के लिए भी खास इंतजाम करने होते हैं। इसके लिए 80 फीसदी मोबाइल टावर को ऑप्टिकल फाइबर से लैस करने की जरूरत होती है, जबकि देश में मात्र 15फीसदी टावर इस तकनीक से जुड़े हैं। इंडस्ट्री के मुताबिक, अभी जो स्थिति है, उसमें 5जी तकनीक आने में तीन-चार साल लग सकते हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि जब 4जी तकनीक ही पूरे देश में अपने पैमानों पर खरी नहीं उतर रही, ऐसे में 5जी की बात करना जल्दबाजी ही है। एक सर्वे में आया भी है कि 4जी सर्विस पूरे विश्व में सबसे धीमी भारत में ही है। सरकार कर रही यह दावा सरकार का कहना है कि 5जी जैसी तकनीक देश में आए, इसे देखते हुए ही नई टेलिकॉम नीति बनाई गई है और इसे केंद्र सरकार ने पिछले साल ही मंजूरी दी है। प्रस्तावित नीति में टेलिकॉम सेक्टर में लाइसेंसिंग और फ्रेमवर्क, सभी के लिए कनेक्टिविटी, सेवाओं की गुणवत्ता, व्यापार करने में आसानी और नई तकनीक पर जोर जैसे 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी चीजें शामिल हैं। इस नीति में टेलिकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश को किस तरह आकर्षित किया जाए, इस बारे में भी रोडमैप दिया गया है। सरकार का दावा है कि इसमें 5जी के लिए भी रोडमैप है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह इसकी राह में मौजूद बाधाओं को दूर किया जा सकता है। 5जी तकनीक से आएगी सूचना क्रांत जानकारों का मानना है कि 5जी से तकनीक में नई क्रांति आ जाएगी। इसे 4जी तकनीक से 1000 गुना तेज माना जाता है। इस तकनीक के उपयोग में आने के बाद दैनिक जरूरतों से जुड़ी तकनीकी सुविधाएं भी हाइटेक हो जाएंगी। 5जी कैसे करता है काम इसमें कई नई तकनीक इस्तेमाल की जाएंगी और यह हाई फ्रिकवेंसी बैंड 3.5गीगाहर्ट्ज से 26गीगारर्ट्ज या उससे भी ज्यादा पर काम करेगा। जहां 4जी में सिग्नल के लिए बड़े हाई पाव सेल टावर्स की जरूरत होती है, वहीं 5जी वायरलेस सिग्नल को भेजने के लिए बहुत सारे छोटे सेल स्टेशन का इस्तेमाल करेगा। जिन्हें छोटी-छोटी जगह जैसे लाइट पोल्स या बिल्डिंग पर लगाया जा सकता है। यहां पर मल्टीपल स्मोल सेल से उसका इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि यह मिलिमीटर वेव स्पेक्ट्रम हमेशा 30गीगाहर्ट्ज से 300गीगाहर्ट्ज के भीतर ही होती है और 5जी में हाई स्पीड पैदा करने की ही जरूरत है। पहली जनरेशन पहली जनरेशन में वायरलेस टेक्नोलॉजी के लिए स्पेक्ट्रम की लोवर फ्रिक्वेंसी बेंड का इस्तेमाल होता था, जिससे कि दूरी ज्यादा होती है। इससे जूझने के लिए इंडस्ट्री ने 5जी नेटवर्क में लोअर फ्रिक्वेंसी स्पेक्स्ट्रम इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है। जिससे नेटवर्क ऑपरेटर सिस्टम का इस्तेमाल कर सके, जो कि उनके पास पहले से ही मौजूद है। इसकी इंटरनेट स्पीड पहले के जनरेशन से 10 से 20 गुना ज्यादा होगी जो अपने आपमें बहुत ही तेज होगी। 4जी से 5जी से कितना अलग 5जी पूरी तरह से 4जी तकनीक से अलग होगी। शुरुआत में अपने ओरिजिनल स्पीड में काम करेगा या नहीं यह भी तय नहीं है क्योंकि यह सब कुछ टेलीकॉम कंपनियों का निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है। फिलहाल 4जी पर सर्वाधिक 45 एमबीपीएस मुमकिन है लेकिन एक चिप को बनाने वाली कंपनी का अनुमान है कि 5जी तकनीक से काफी बदलाव होगा

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