अमेरिकी वैज्ञानिको ने पहली बार मनुष्य की भांति चलने वाला अणु डिजाईन किया है जिसे नयनो वाकर नाम दिया गया है नयनो वाकर के माध्यम से बहुत सी सुचनाये छोटे से चिप में एकत्र की जा सकती है वैज्ञानिको के अनुसार सूछ्म अणु के सपाट पर मनुष्य की भांति सीधा चलना अदभुत है इससे पुरे विश्व जहाँ हम रहते है की नक़ल नयनो मीटर से स्केल से उतारी जा सकती है ९, १० डि डि ऐ को जोड़ने वाले तत्व पैरो का काम करते है उष्मा मिलते यह सक्रिय होजाता है और उससे चलने फिरने की उर्जा मिलने लगती है डिडिऐ बिना नयनो रेल या नयनो ग्रुब्स के सपाट सतह पर मनुष्य की तरह चल सकता है नयनो वाकर पहली बार १००००० से अधिक कदम चला जहाँ तक डिडिऐ का प्रश्न है इसे मनुष्य की तरह चलने फिरने के लिए किसी सहारे कीजरूरत नहीं होती
वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके...
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