छिपकली भी अजीब प्राणी है उसकी पूंछ स्वम ही झड़ जाती है है और कुछ समय बाद पुनः उग जाती है वैज्ञानिको ने अब इस रहस्य को समझ लिया है वैज्ञानिको ने यह अनुवांशिक नुस्खा खोज निकला है जो छिपकली के अंग के पुनिर्माण के लिए कारक है वैज्ञानिको का कहना है की आनुवंशिक सामग्री के सही मात्रा में मिश्रण से यह संभव है छिपकली में पाए जाने वाले अंग पुनर्निर्माण के आनुवांशिक सामग्रियों के सही मात्रा का पता लगाकर उन्ही जीन को मानव कोशिका में प्रत्यारोपित कर उपास्थि मांसपेशी यहाँ तक ऋण की हड्डी की पुनर्संग्रचना भविस्य में सभव है एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के किनारो कुसमी ने कहा छिपकली में वही जीन होते है जो मनुस्यो में होते है ये मनुस्यो की शारीरिक संगरचना से मेल खाने वाला जीव है इससे विभिन्य पारकर की बीमारियों का इलाज संभव है
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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