अनाज से बनाया जाएगा एथेनाल

 


गोरखपुर, उमेश पाठक। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में 100 करोड़ रुपये के निवेश से  एथेनाल बनाया जाएगा। इंडिया ग्लाइकाल्स लिमिटेड (आइजीएल) इसके लिए प्लांट स्थापित कर रहा है और अगले कुछ महीनों में उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस प्लांट में गेहूं, चावल के साथ स्टार्च वाले अन्य अनाजों से एथेनाल तैयार किया जाएगा, जिससे किसानों को सीधा फायदा होगा।


आइजीएल के इस प्लांट में हर वर्ष तीन करोड़ लीटर एथेनाल तैयार होगा। इतना एथेनाल बनाने में हर वर्ष करीब 90 हजार टन अनाज की जरूरत होगी। आइजीएल पूर्वांचल के किसानों से सीधे भी अनाज का क्रय कर सकता है। इस प्रक्रिया में खराब अनाज, चावल के टूटन का भी उपयोग किया जा सकता है।

प्लांट में अनाज को पीसकर पानी मिलाया जाएगा। उसके बाद फर्मंटेंशन के जरिए एल्कोहल अलग किया जाएगा।

किसानों से गेहूं खरीद के बाद गोदामों में अनाज रखने की जगह नहीं होती। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में गोरखपुर मंडल में करीब 2.75 लाख टन अनाज रखने की जगह है। मंडल में औसतन तीन लाख टन गेहूं जबकि 5.50 लाख टन धान की खरीद की जाती है। हर बार अनाज के भंडारण की समस्या होती है। उद्यमियों की मानें तो इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार की भी मंशा है कि अनाज से एथेनाल बनाया जाए। जिससे किसानों के पास एक और विकल्प होगा 

आइजीएल किसानों से बाजार मूल्य के हिसाब से अनाज खरीदेगा। एथेनाल प्लांट स्थापित होने के बाद व्यापारी एवं क्रय केंद्रों के अलावा किसानों को तीसरा विकल्प भी मिल जाएगा। किसानों का खराब अनाज भी एथेनाल बनाने के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसलिए उन्हें खराब अनाज की ङ्क्षचता करने की भी जरूरत नहीं होगी। एक तरह से कृषि के क्षेत्र में इससे बड़ा बदलाव 

style="font-family: "Noto Sans"; margin-left: 0px; margin-right: 0px; overflow-wrap: break-word;">एथेनाल एक प्रकार का एल्कोहल होता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाडिय़ों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। आइजीएल के प्लांट में तैयार होने वाला एथेनाल पेट्रोलियम कंपनियों को बेचा जाएगा।

अनाज से एथेनाल बनाने के लिए गोरखपुर इकाई में 100 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इसमें हर साल करीब तीन करोड़ लीटर एथेनाल बनेगा और 90 हजार टन अनाज का इस्तेमाल हो सकेगा। प्लांट शुरू होने के बाद किसानों के पास अनाज बेचने के लिए एक और विकल्प मिल सकेगा। इससे बड़ा बदलाव आएगा। - एसके शुक्ला, बिजनेस हेड, आइजीएल।


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